बायोफ्लाक तकनीक से मछली पालन कर कमाएं ज्यादा मुनाफा, 26 से 30 लाख रुपये आय का अनुमान
जिले के किसानों की आय बढ़ाने के लिए मछली पालन की विधि बायोफ्लाक कारगर सिद्ध होने जा रही है। इस विधि में एक किसान लागत का तीन से पांच गुना अधिक कमाई करेगा। इसी कवायद में जिला प्रशासन ने 35 किसानों का चयन करके शासन को प्रस्ताव भेजा है।
सोनभद्र, जेएनएन। जिले के किसानों की आय बढ़ाने के लिए मछली पालन की विधि बायोफ्लाक कारगर सिद्ध होने जा रही है। इस विधि में एक किसान लागत का तीन से पांच गुना अधिक कमाई करेगा। इसी कवायद में जिला प्रशासन ने 35 किसानों का चयन करके शासन को प्रस्ताव भेजा है। इससे पहले 24 किसानों के चयन का लक्ष्य मिला था।
नौ बिस्वा में बनेगा टैंक
इस विधि से नौ बिस्वा खेत में एक टैंक बनाया जाएगा। इसमें 30 हजार पयासी प्रजाति की मछलियों के बच्चों को छोड़ा जाएगा। ये छह महीने में आठ सौ ग्राम से एक किलो के हो जाते हैं। बायोफ्लाक विधि की सबसे अधिक खासियत है कि खुले तालाबों के विपरीत मछली पालन सुविधाजनक व कम खर्च में अधिक आमदनी वाला साबित हो रही है। कुल लागत में एससी-एसटी व महिलाओं को 60 फीसद व सामान्य के साथ ही पिछड़ी जाति को 40 फीसद का अनुदान दिया जा रहा है।
चारे का खर्च खर्च होगा कम
मछली जितना भोजन खाती है उसका 75 फीसद भोजन खराब कर देती है। बायोफ्लाक विधि से इसी वेस्ट को फिर से पोषक तत्वों में बदला जाता है। यदि तालाब में 8 बोरी भोजन की जरूरत पड़ती है तो बायोफ्लाक विधि में सिर्फ चार बोरी ही लगेगी।
26 से 30 लाख रुपये होगी आय
एक टैंक में 30 हजार पयासी प्रजाति के बच्चों को छोडऩे की योजना है। छह महीने में ये एक किलो के होते हैं तो 30 टन और आठ सौ ग्राम की मछली है तो 26 टन माल तैयार होता है। यदि सौ रुपये किलो विक्रय होता है तो 26 से 30 लाख रुपये तक की आय प्राप्त की जा सकती है।
बोले अधिकारी
बायोफ्लाक विधि से मछली पालन करने के लिए 35 किसानों का चयन करके शासन को भेज दिया गया है। इस विधि से मछली पालन करने से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। - विजय पाल, मत्स्य पालक अधिकारी।