भदोही जिले में 3.15 लाख मवेशियों का इयर टैग गायब, मुश्किल हुई पालतू पशुओं की पहचान
पशु चोरी होने की स्थिति में पता लगाने में आसानी टीकाकरण बीमा आनलाइन खरीद दवा देने नस्ल सुधार कृत्रिम गर्भाधान आदि के अलावा सबसे बड़ी बात यह थी कि मवेशियों को छुट्टा छोड़ने पर पशुपालकों की पहचान आसानी से की जा सकती थी।
भदोही, जागरण संवाददाता। पशुओं की चोरी होने की स्थिति में पता लगाने में आसानी,टीकाकरण, बीमा, आनलाइन खरीद, दवा देने, नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान आदि के अलावा सबसे बड़ी बात यह थी कि मवेशियों को छुट्टा छोड़ने पर पशुपालकों की पहचान आसानी से की जा सकती थी। उनके खिलाफ विधि संगत कार्रवाई भी की जा सकती थी। इसके लिए शासन ने जिले के प्रत्येक मवेशियों की इयर टैगिंग करने को कहा था। लाखों रुपये खर्च कर पशुपालन विभाग को इयर टैग उपलब्ध भी करा दिया गया था। हकीकत यह है कि कुछ को छोड़ दिया जाए तो जिले में 3.15 लाख मवेशियों का इयर टैग गायब हो गया। इयर टैग लगाने के बजाए विभागीय अधिकारियों ने पशुपालकों के हाथ में देकर खानापूर्ति कर ली। अब इयर टैग न होने से पशुओं की तस्करी से लेकर उनकी पहचान को लेकर भी संकट का गया है। इससे पशु गणना भी काफी हद तक प्रभावित होनी तय है।
जिले में मवेशियों की स्थिति
जिले में कुल 3,59000 मवेशी हैं। इसमें 2,04276 गोवंश व 1,54724 महिषवंश शामिल हैं। कहा गया था कि टीकाकरण करने पहुंचने वाली टीम ऐसे पशुपालकों के मवेशियों को टीका नहीं लगाएंगे जो टैगिंग नहीं कराएंगे। टीम के कर्मचारियों ने मवेशियों की टैगिंग नहीं की।
गठित की गई थीं अलग-अलग 21 टीमें
इयर टैगिंग और टीकाकरण के लिए जिले में कुल 21 टीमों का गठन किया गया था। डोर-टू-डोर पहुंचकर टैगिंग करना था। विभागीय कर्मचारी गांव में कुछ सहयोगियों की मदद से टैगिंग करने के बजाए ऐसे ही वितरित कर दिया। अभिलेख में टैग नंबर लिखकर अपनी ड्यूटी पूरी कर ली जबकि मवेशियों टैगिंग नहीं की।
बोले पशु चिकित्साअधिकारी : इयर टैगिंग कराई गई है। इसी के माध्यम से टीकाकरण भी कराया जाता है। हो सकता कि कुछ पशु पालक के मवेशियों की टैगिंग न हो सका हो। मामले की जांच कराकर दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - जय सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।