बलिया में डीएम ने अपनी नाव को खींचकर निकाला, फिर सिर पर उठाकर बढ़े आगे

जिलाधिकारी एसपी शाही व सीडीओ विपिन जैन ने गुरुवार को कटहल नाला में जलमार्ग से भ्रमण कर सर्वें किया। बांसडीह रोड क्षेत्र के छोड़हर से लेकर जीराबस्ती बहादुरपुर देवकली होते हुए परमंदापुर तक गए और कुछ दिनों पहले हुए सफाई का भी हाल देखा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 11:40 AM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 01:51 PM (IST)
बलिया में डीएम ने अपनी नाव को खींचकर निकाला, फिर सिर पर उठाकर बढ़े आगे
डीएम श्रीहरि प्रताप शाही ने नाव को खींचकर निकाला, फिर सिर पर उठाकर बढ़े आगे।

बलिया, जेएनएन। जिलाधिकारी एसपी शाही व सीडीओ विपिन जैन ने गुरुवार को कटहल नाला में जलमार्ग से भ्रमण कर सर्वें किया। बांसडीह रोड क्षेत्र के छोड़हर से लेकर जीराबस्ती, बहादुरपुर, देवकली होते हुए परमंदापुर तक गए और कुछ दिनों पहले हुए सफाई का भी हाल देखा। सफाई की वजह से बहाव तो ठीक था, पर देवकली गांव के सामने पेड़ की डाल झुकने और उसके चलते भारी मात्रा में जलकुंभी फंसने पर जिलाधिकारी ने सवाल किया। इसके अलावा परमंदापुर के पास व निरालानगर से आगे भी बहाव बाधित था। इसकी वजह से निरालानगर से ही जिलाधिकारी को अपनी पूरी टीम के साथ वापस होना पड़ा। हालांकि, बताया गया कि सफाई के बाद ये जलकुंभी फंसी हुई है।

जिलाधिकारी ने कहा कि नगर व इसके आसपास क्षेत्र में जलजमाव की समस्या का काफी हद तक निदान कटहल नाला के माध्यम से निकल सकता है। निदान की स्थिति, अतिक्रमण तथा किस प्रकार इसकी उपयोगिता को और बढ़ाई जा सकती है, भ्रमण कर इसी का जायजा लिया गया। प्राकृतिक रूप से कटहल नाला के अस्तित्व को बचाने के उद्देश्य से भी यह सर्वे किया गया। इस नाले के किनारे गांवों की बढिय़ा तरीके से कनेक्टिविटी कर वहां जलजमाव की समस्या खत्म की जा सकती है। जिलाधिकारी ने साफ किया कि कटहल नाले के अंदर से ही इसे बेहतर तरीके से समझा जा सकता था। भ्रमण के दौरान कई जगहों पर रूकावटें व समस्या भी आई, जिसको दूर करते हुए कटहल नाले का निरीक्षण किया गया। जलकुंभी व गिरे  पेड़ बहाव में बाधक बन रहे हैं, इसकी सफाई के निर्देश दिए।

इससे पहले जिलाधिकारी अपनी पूरी टीम के साथ छोड़हर पहुंचे। वहां एनडीआरएफ के जवान नाव के साथ पहले से ही तैयार थे। वहां से सीडीओ विपिन जैन, डीएफओ श्रद्धा, एसडीएम सदर राजेश यादव, डिप्टी कलेक्टर सर्वेश यादव, सिंचाई विभाग की इंजीनियर व आपदा विभाग के पीयूष ङ्क्षसह के साथ एनडीआरएफ की तीन नाव पर सवार हुए।

नाव को खींचकर निकाला, फिर सिर पर उठाकर बढ़े आगे

भ्रमण के दौरान एकबारगी तो ऐसा लगा जैसे वहां से आगे अधिकारियों का जाना मुश्किल ही होगा। लेकिन, जिलाधिकारी ने साफ कर दिया कि जैसे भी हो, यहां से आगे भी भ्रमण जारी रहेगा। एनडीआरएफ के जवानों ने सुझाव दिया कि नाव को निकालकर फिर जलकुंभी से आगे ले जाकर पानी में डाल आगे जाना सम्भव है। फिर क्या, जिलाधिकारी स्वयं नाव को बाहर निकालने के लिए खींचने में लग गए। जिलाधिकारी की मेहनत देख सीडीओ विपिन जैन, एसडीएम सदर राजेश यादव व डिप्टी कलेक्टर सर्वेंश यादव भी लग गए। एनडीआरएफ जवानों के साथ सभी अधिकारी मिलकर नाव को खींचकर बाहर निकाला और फिर सिर पर उठाकर 100 मीटर तक ले गए। इसमें गांव के कुछ युवाओं ने भी काफी मेहनत की। वहां से आगे फिर पानी में नाव को डालकर आगे की यात्रा की गइ। जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान भोला राय समेत गांव के दर्जन भर युवाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।

चाय पर चर्चा के दौरान योजनाओं के क्रियान्वयन की ली जानकारी

देवकली में जहां पर जलकुंभी लगी होने से नाव आगे नहीं जा पा रही थी, वहां बगल में ही परमात्मानंद ठाकुर का घर था। नाव को निकालने के लिए काफी मेहनत करने के बाद जिलाधिकारी एसपी शाही अपनी टीम के साथ उनके घर पहुंचे। मुखिया से अनुमति लेने के बाद छत पर चढ़कर नाले के रूके बहाव का जायजा लिया और नगरपालिका के ईओ को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। उधर, आला अधिकारियों को अपने घर देख परमात्मानंद ठाकुर व घर की महिलाएं-बच्चे काफी खुश नजर आए। जिलाधिकारी ने स्वयं चाय और पानी पिलाने का अनुरोध किया तो यह खुशी और अधिक हो गई। थोड़ी देर में वहां प्रधान व अगल-बगल के वरिष्ठ लोग भी जुट गए। फिर इस खाली समय का भी जिलाधिकारी ने सदुपयोग किया और चाय पर चर्चा के दौरान गांव में हुए विकास कार्यों व योजनाओं के क्रियांवयन से संबंधित बातचीत की। करीब आधा घंटा रुकने के बाद वहां से पूरी टीम आगे बढ़ी।

टूरिज्म के क्षेत्र में तलाशी संभावनाएं

सीडीओ, एसडीएम, अधिशासी अधिकारी, डीएफओ, सिंचाई विभाग की इंजीनियर के साथ कटहल नाले में भ्रमण के दौरान जिलाधिकारी एसपी शाही ने टूरिज्म के क्षेत्र में विकसित करने की संभावनाओं पर चर्चा की। कहा कि कटहल नाले के प्राकृतिक स्वरूप को बचाए रखने के साथ टूरिज्म की भी अपार संभावना है। वजह कि सुरहा ताल से गंगा नदी को यह नाला जोड़ता है। इसके दोनों तरफ पगडंडी बनाकर बोटिंग के माध्यम से इको-टूरिज्म का प्रयास किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए बेहतर प्रोजेक्ट की आवश्यकता है, जिस पर पहल करने का प्रयास होगा।

chat bot
आपका साथी