कोयले की कमी के कारण सोनभद्र के ओबरा में एनर्जी एक्सचेंज से लेनी पड़ी 3081 मेगावाट बिजली
कोयला की कमी के कारण प्रदेश में विद्युत संकट बरकरार है। शनिवार रात को एनर्जी एक्सचेंज से रिकार्ड 3081 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी। कोयले के देशव्यापी संकट के कारण केंद्रीय पूल से लगभग तीन हजार मेगावाट बिजली कम मिल पा रही है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र। कोयला की कमी के कारण प्रदेश में विद्युत संकट बरकरार है। शनिवार रात को एनर्जी एक्सचेंज से रिकार्ड 3081 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी। कोयले के देशव्यापी संकट के कारण केंद्रीय पूल से लगभग तीन हजार मेगावाट बिजली कम मिल पा रही है। प्रदेश में मौजूद इकाइयों से अपेक्षित उत्पादन नहीं होने के कारण लगातार एनर्जी एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। शनिवार रात पीक आवर के दौरान अधिकतम प्रतिबंधित मांग 19958 मेगावाट दर्ज की गई। शनिवार पीक आवर के दौरान रिहंद जलविद्युत घर की सभी छह इकाइयों से 273 मेगावाट उत्पादन कराया गया।
कोयला संकट के बीच आये त्योहारों में भी बिजली की मांग पूरा करने के लिए जमकर महंगी बिजली खरीदकर स्थिति को काबू में किया गया। बीते दुर्गा नवमी को जहां अधिकतम प्रतिबंधित मांग 20115 मेगावाट रही वहीं दशमी के दिन 18866 मेगावाट दर्ज की गई। उसके बावजूद मांग पूरा करने के लिए एनर्जी एक्सचेंज से बिजली ली गई। शुक्रवार को केंद्रीय पूल से 10449 मेगावाट बिजली लेने के बावजूद एनर्जी एक्सचेंज से 2756 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी। उधर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की इकाइयों में कोयले की कमी बनी हुई है। ओबरा परियोजना में कोयले का स्टाक घटकर 30 हजार मीट्रिक टन हो गया है।
रविवार तीन बजे के करीब प्रदेश में मांग में कमी के साथ कोयले की कमी को देखते हुए ओबरा परियोजना की इकाइयों को लगभग आधी क्षमता पर चलाया जा रहा था। दोपहर सवा तीन बजे के करीब ओबरा का कुल उत्पादन घटकर 416 मेगावाट के करीब हो गया था। जिसमे 200 मेगावाट वाली नौवीं इकाई से 104 मेगावाट, 10वीं से 102 मेगावाट, 11वीं से 104 मेगावाट एवं 12वीं से 104 मेगावाट उत्पादन हो रहा था। ओबरा तापीय परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक इ. दीपक कुमार ने बताया कि शुक्रवार को तीन रैक एवं शनिवार को दो रैक कोयला आया है। कहा कि कोयले की कमी के कारण अभी भी इकाइयों को पूरी क्षमता पर नहीं चलाया जा पा रहा है।