वाराणसी में 253 करोड़ का ड्रेनेज सिस्टम सड़क में दफन, कार्यदायी विभाग जल निगम हैंडओवर कर चाहता है मुक्ति

वर्ष 2009 में प्रस्तावित स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम को 2015 में कार्य पूरा करने का दावा जल निगम ने किया था लेकिन अब तक वह जनोपयोगी नहीं हो सकी। अपूर्ण योजना नगर निगम को हैंडओवर कर जल निगम मुक्ति चाहता है लेकिन सफलता नहीं मिल रही।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 10:46 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 11:35 AM (IST)
वाराणसी में 253 करोड़ का ड्रेनेज सिस्टम सड़क में दफन, कार्यदायी विभाग जल निगम हैंडओवर कर चाहता है मुक्ति
वाराणसी के अंधरापुल के जलजमाव का निरीक्षण करते नगर आयुक्त।

वाराणसी, जेएनएन। मूलभूत सुविधाओं को लेकर बनी योजनाओं पर जल निगम ने अब तक पानी फेरने का ही काम किया है। यदि विभाग ने बेहतरीन कार्यशैली का प्रदर्शन किया होता तो गुरुवार को पूरे दिन हुई बारिश में शहर की गलियां व सड़कें जलाजल न होतीं। वर्ष 2009 में प्रस्तावित स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम को 2015 में कार्य पूरा करने का दावा जल निगम ने किया था लेकिन अब तक वह जनोपयोगी नहीं हो सकी। अपूर्ण योजना नगर निगम को हैंडओवर कर जल निगम मुक्ति चाहता है लेकिन सफलता नहीं मिल रही। एक बार फिर नगर निगम ने परियोजना को लेने से इन्कार कर दिया है। अपर नगर आयुक्त देवीदयाल वर्मा के नेतृत्व में जब तकनीकी परीक्षण किया गया तो 28 स्थानों पर बड़ी खामियां मिलीं।

नगर निगम के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण है। इस लिहाज से ही टेकओवर से पहले पाइप लाइन की सफाई के साथ ही जल निकासी सिस्टम की खामियों को दूर करने के लिए 15वें वित्त से 14 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अपर नगर आयुक्त के अनुसार सिस्टम की पाइप का आपस में कनेक्शन ही नहीं किया गया है। वहीं, रही सही कसर पीडब्ल्यूडी, गेल, आइपीडीएस समेत अन्य विभागों ने पूरी कर दी है। सड़क चौड़ीकरण व भूमिगत पाइपों को बिछाने में स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम को क्षतिग्रस्त कर दिया। पीडब्ल्यूडी ने तो सिस्टम में लगे ढक्कन ही तारकोल व गिट्टी के नीचे दबा दिए। परिणाम, ढक्कन पर बने 16 छेद जिससे बारिश का पानी पाइप लाइन में चला जाता वह रुक गया और सड़कें बारिश के पानी से लबालब हो गईं। रोड साइड ड्रेन का कनेक्शन भी नहीं किया।

जल निकासी के लिए 2009 में स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम की योजना बनाई गई। 253 करोड़ रुपये की इस योजना में शहर भर में करीब 76 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई गई। जल निकासी की यह योजना 2015 में ही पूरी हो गई है, लेकिन कारगर नहीं हुई। खास यह की योजना पूर्ण हुए छह वर्ष हो गए लेकिन नगर निगम को इसे अभी तक जल निगम ने हैंडओवर नहीं किया है। कारण, ड्रेनेज सिस्टम का जगह-जगह बनाए गए कैकपिट और जालियों को लोक निर्माण विभाग व नगर निगम द्वारा सड़क बनाए जाने के दौरान पाट दिया गया है। इससे स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह क्रियाशील नहीं हो सका। बंद जालियों व कैकपिट को खुलवाने के लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा तीन करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया गया है लेकिन कार्य नहीं किया गया। मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने भी दो साल पहले अफसरों को बुलाया था। सिस्टम को दुरुस्त करने का निर्देश दिया लेकिन हालात नहीं बदले।

अब भी दो सौ साल पुराने शाही नाले का भरोसा

ईस्ट इंडिया कंपनी ने बनारस का टकसाल अधिकारी जेम्स प्रिंसेप ने 1827 में ड्रेनेज सिस्टम शाही नाला बनाया था। दो सौ साल बाद भी बनारस की ड्रेनेज व सीवेज व्यवस्था उसी जेम्स प्रिंसेप के शाही नाले के भरोसे है। दो सौ सालों में तरक्की की बात तो दूर, आपको जानकर दुख होगा कि 2014 तक उस नाले की सुध-बुध तक नहीं ली गई थी। जब बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने तो 2016 में उसकी सफाई का काम जापान की कंपनी जायका को दिया गया। जायका ने काम शुरू किया तो उसे पता चला कि वाराणसी नगर निगम के पास तो शाही नाले का नक्शा ही नहीं है। तब रोबोटिक कैमरे से नाले के भीतर की जानकारी ली गई। बीते चार साल से नाले की सफाई हो रही है जो अब तक पूरी नहीं हो सकी। जल निगम के इंजीनियर और आर्किटेक्ट हैरान हैं कि जब यह नाला बनाया गया तब बनारस की आबादी महज एक लाख 80 हजार थी। आज 20 लाख के पार है। शहर विस्तार लेता चला गया है लेकिन वाटर ड्रेनेज की मुकम्मल आधुनिक व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी है। वर्ष 2015 में नया बना स्टार्म वाटर सिस्टम पूर्व की सपा सरकार में जल निगम की ओर से हुई धांधली की भेंट चढ़ गया।

सात किमी लंबा नाला, तीन साल में भी नहीं सफाई

असि से कोनिया तक इसकी लंबाई सात किमी बताई जाती है। यह अब भी अस्तित्व में है लेकिन उसकी भौतिक स्थिति के बारे में सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। पुरनियों के मुताबिक यह नाला अस्सी, भेलूपुर, कमच्छा, गुरुबाग, गिरिजाघर, बेनियाबाग, चौक, पक्का महाल, मछोदरी होते हुए कोनिया तक गया है। बीते चार साल से इसकी सफाई हो रही है। अब भी 681 मीटर नाला सफाई कार्य बचा है। मजदूर भी भाग गए हैं। कार्य इस वर्ष भी पूरा हो जाएगा, यह दावे से कहना मुश्किल है।

जलजमाव के लिए चिह्नित स्पाट

बड़ी गैबी, जक्खा, मोतीझील, सीस नगवा, चपरहिया पोखरी, मकदूम बाबा, देव पोखरी, अम्बा पोखरी, अहमदनगर, जक्खा कब्रिस्तान, आकाशवाणी मोड़, शिवपुरवा का हनुमान मंदिर मैदान, शायरा माता मंदिर, जेपी नगर मलिन बस्ती, निराला नगर लेन नंबर तीन। सरैया पोखरी, सरैया फकीरिया टोला, कोनिया धोबीघाट, जलालीपुरा, अमरोहिया, सरैया मुस्लिम बस्ती, कोनिया मोहन कटरा, अमरपुर मढहिया, सरैया निगोरिया, रमरेपुर, मवईया यादव बस्ती, शेखनगर बैरीवन और पांडेयपुर गांव आदि।

एक नजर में नगर

-शहर की आबादी : 2081639

-शहर का क्षेत्रफल : 112.26 वर्ग किमी

-नदियां : गंगा, वरुणा, असि, गोमती, बेसुही, नाद

-शहर में वार्ड : 90

-शहर में मुहल्ले : 434

-शहर में आवास : 192786

-शामिल हुए नए गांव : 86

ड्रेनेज सिस्टम

-छोटे व बड़े कुल 113 नाले

-नगवां-अस्सी नाला, नरोखर नाला, अक्था नाला, सिकरौल नाला, बघवा नाला मुख्य प्राकृतिक नाले

-अंग्रेजों के जमाने में 24 किमी का शाही नाला

-एक दशक पूर्व बना 76 किमी का स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम

-दो सौ वर्ष पूर्व जब शाही नाले के रूप में पहला ड्रेनेज बना था तो शहर की आबादी 1.80 लाख थी और क्षेत्रफल 30 वर्ग किमी था।

-चार सौ करोड़ का ट्रांस वरुणा सीवेज सिस्टम

-तीन सौ करोड़ का सिस वरुणा सीवेज सिस्टम

-एक सौ 72 करोड़ का रमना सीवेज सिस्टम

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