डा. लालजी सिंह ने भारत ने दुनिया को दी जीनोम कुंडली से आनुवंशिक रोगों के निदान की तकनीक

बच्चे के जन्म से पहले ही उसे भविष्य में होने वाली जानलेवा व्याधियों का डाटा तैयार कर जीनोम पत्री (कुंडली) का सिद्धांत दुनिया को सबसे पहले भारत ने दिया था। इसके अगुवा थे देश में डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक डा. लालजी सिंह (।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 05 Jul 2021 09:10 AM (IST) Updated:Mon, 05 Jul 2021 09:10 AM (IST)
डा. लालजी सिंह ने भारत ने दुनिया को दी जीनोम कुंडली से आनुवंशिक रोगों के निदान की तकनीक
देश में डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक डा. लालजी सिंह

वाराणसी, हिमांशु अस्थाना। इंसान को जीवनकाल में छोटी-बड़ी बीमारियां होती हैैं, लेकिन कुछ आनुवंशिक रोग कम उम्र में मौत का कारण बन जाते हैं या जीवन भर के लिए दिव्यांग बना देते हैैं। बच्चे के जन्म से पहले ही उसे भविष्य में होने वाली जानलेवा व्याधियों का डाटा तैयार कर जीनोम पत्री (कुंडली) का सिद्धांत दुनिया को सबसे पहले भारत ने दिया था। इसके अगुवा थे देश में डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक डा. लालजी सिंह (जन्म- पांच जुलाई, 1947 (जौनपुर), निधन - 10 दिसंबर, 2017 (वाराणसी)।

व्यक्ति को आजीवन रोगमुक्त रखने की जीन आधारित उपचार की विधा पर प्रतिष्ठित जर्नल नेचर में डा. सिंह के पांच शोधपत्र प्रकाशित हुए थे। उन्होंने नवजात की जीवन संभाव्यता यानी अधिकतम आयु निर्धारण का तरीका बताया। हर व्यक्ति के जीनोम के आधार पर उसके लिए विशेष दवाएं बनाने का विचार दिया। 2008 में अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने डा. सिंह से संपर्क कर जीन आधारित निदान पर नेचर में शोधपत्र प्रकाशित कराया।

गर्भ में ही जान जाएंगे कोविड का खतरा कितना

डा. लालजी सिंह के शिष्य और बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि यूरोप और अमेरिका ने डा. लालजी सिंह के बाद 2005 में इस तकनीक पर काम शुरू किया। इजरायल और यूरोपीय देश एस्टोनिया तो मुफ्त में हर बच्चे की जीनोम कुंडली बनाते हैैं। डा. चौबे के मुताबिक न्यूरो संबंधी समस्याओं के लक्षण व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं और इनकी पहचान मुश्किल होती है, जबकि जीन के स्तर पर आसानी से इनकी पहचान कर इलाज संभव है। इस आधार पर ही डा. सिंह ने 'पर्सनलाइज्ड मेडिसिन टर्म का ईजाद किया। इसके बाद दुनिया में इसकी चर्चा शुरू हुई। इस सिद्धांत में मां के गर्भ से जीन सैंपल की सिक्वेंसिंग कर तमाम रोगों का डाटा तैयार करते हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण की गंभीरता भी मानव जीन के आधार पर तय हो रही है। जीनोम पत्री से पता चल जाएगा कि नवजात को कोविड संक्रमण का कितना खतरा है।

डा. सिंह को ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का था ख्याल

जीनोम फाउंडेशन, जौनपुर के प्रमुख डा. आशीष सिंह ने बताया कि जीनोम डाटा कुंडली से व्यक्ति के जीवन की सुरक्षा के साथ ही जीवन गुणवत्ता भी बढ़ा सकते हैं। जीनोम फाउंडेशन की स्थापना डा. सिंह ने इस मकसद से की थी कि दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की बीमारियों का आनुवंशिक निदान किया जा सके। इसके लिए 2004 में हैदराबाद और जौनपुर के कलवारी गांव में केंद्र स्थापित किया।

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