जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक डा. आशुतोष ने कहा- गुलाम कश्मीर और अक्साई चिन के युवाओं में विकास की जगी उम्मीद

समय आ गया है कि सरकार के साथ देशवासियों की ओर से जनजागरण अभियान चलाया जाए ताकि शेष भारत के लोगों का आना-जाना बढ़े। ऐसा होने से ही जम्मू-कश्मीर लद्दाख पीओके व अक्साई चिन में विकास की लहर आएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 07:50 AM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 11:37 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक डा. आशुतोष ने कहा- गुलाम कश्मीर और अक्साई चिन के युवाओं में विकास की जगी उम्मीद
जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली के निदेशक डा. आशुतोष भटनागर

वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के साथ ही गुलाम कश्मीर और अक्साई चिन के युवाओं में भी विकास की उम्मीद जगी है। वहां के लोग आतंकवाद और अलगाववाद के भय से मुक्त हुए हैं। समय आ गया है कि सरकार के साथ देशवासियों की ओर से जनजागरण अभियान चलाया जाए, ताकि शेष भारत के लोगों का आना-जाना बढ़े। ऐसा होने से ही जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पीओके व अक्साई चिन में विकास की लहर आएगी।

जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली के निदेशक डा. आशुतोष भटनागर ने दैनिक जागरण से बातचीत में ये बातें कहीं। वह बीएचयू के विज्ञान संकुल में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की ओर से आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में शामिल होने आए थे। उन्होंने बताया कि हमारे सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं, जिन्हें दूर करना होगा। पहला-आतंकवाद के कारण करीब तीन दशक से बंद शेष भारत के लोगों का आवागमन शुरू हो। अभी तक पैसा तो बहुत बहाया गया, लेकिन विकास नहीं हुआ। अनुच्छेद 370 के हटने से यह समस्या काफी हद तक दूर हो रही है। संवाद बढ़ाने की जरूरत भी है, ताकि वहां के लोगों मेें विश्वास स्थापित हो सके। इसके लिए आम लोगों को आगे आना होगा। वहां की संस्कृति, धरोहर, भूमि व लोगों को बचाना तीसरी बड़ी चुनौती है। नए शिक्षा संस्थान, अस्पताल और उद्योग स्थापित होंगे, तभी पूर्ण विकास होगा। युवाओं को रोजगार मिलेगा और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा मिल सकेगी। पहली बार श्रीनगर में लालचौक पर राधे-राधे की गूंज बड़े बदलाव का संकेत है। युवाओं में उत्साह है और उन्हें रोजगार के अवसर दिखाई दे रहे हैं।

शेष भारत का आवागमन हो तेज : डा. भटनागर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पीओक व अक्साई चिन में अभी मुख्य रूप से तीन चुनौतियां हैं, जिसे दूर करने की जरूरत है। पहली चुनौती यह कि आतंकवाद कारण करीब तीन दशक से बंद शेष भारत के लोगों के आवागनम को तेज जाए। पहले तो फिल्मों की वहां शूटिंग होती और वहां आने-जाने से लोग एक-दूसरे को पहचानते थे। इस दौरान पैसा तो बहुत बहाया गया लेकिन विकास नहीं हुआ। हालांकि धारा 370 के हटने से यह समस्या काफी हद तक दूर रही है।

सरकार के साथ लोगों को भी आगे आने की जरूरत :  दूसरी चुनौती संवाद की है, जो शेष भारत के लोगों के आने-जाने से दूर होगी। इसके लिए संवाद बढ़ाने की जरूरत है ताकि विश्वास स्थापित हो सके। डा. भटनागर ने बताया कि नियंत्रण रेखा की दूसरी ओर जो भारत है लेकिन पाकिस्तान व चीन के कब्जे में है, जिसमें मीरपुर, मज्जफराबाद, गिलगिट, बल्तीस्तान शामिल हैं। ये क्षेत्र पाक के कब्जे व शेष चीन के कब्जे में हैं। हालांकि यह सरकार उसको वापस लाने की पहल कर रही है, लेकिन आम लोगों को भी इसके लिए आगे आना होगा। संस्कृति, धरोहर, भूमि व वहां के लोगों को बचाने की जरूरत - डा. भटनागर बताते हैं कि वहां की संस्कृति, धरोहरों, भूमि व लोगों को बचाने की जरूरत है। वहां की भूमि व लोग दोनों ही अपने हैं। दोनों को अवैध कब्जे से मुक्त कराकर भारत में लाने की जरूरत है। इसका तथ्य वह पूरा शोध सरकार को सौंप दिया है। जब वहां नए-नए शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल व उद्योग स्थापित होंगे तो पूर्ण विकास होगा। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा तो आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा मिल सकेगी। हालांकि अब वहां पर परिवर्तन आने लगा है। पहली बार लाल चौक पर राधे-राधे गुंजना विकास का संकेत भी है। इसे लेकर वहां के युवाओं में खासा उत्साह भी है। उन्हें अब रोजगार के अवसर दिख रहे हैं।

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