डबल म्यूटेंट वायरस RT-PCR की पकड़ से है बाहर, एस्टेरॉयड का प्रयोग खत्म करेगा फेफड़े का संक्रमण
10-12 रुपये मिलने वाले ये स्टेरॉयड फेफड़े के संक्रमण को तत्काल खत्म कर देगा। इससे मृत्युदर में काफी कमी आएगी। यदि ऑक्सीजन का स्तर 93 से अधिक है तो स्टेरॉयड के साथ ही भाप नेब्यूलाइजर और ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था करें।
वाराणसी, जेएनएन। कोविड-19 के उपचार में तरह-तरह कि भ्रांतियों के पीछे भागने के लिए लोग बेबस हैं। एक कोरोना ने केवल वायरस का नहीं बल्कि कई भ्रामक जानकारियों और अफवाहों का भी संक्रमण पर्यावरण में घोल दिया है। एक इंजेक्शन रेमेडेसीवीर को कोविड से जान बचाने वाले ब्रह्मास्त्र की तरह प्रस्तुत किया गया। जबकि गांव-शहर में सस्ते में आसानी से मिलने वाले एस्टरॉयड के इंजेक्शन भी फेफड़े के संक्रमण को घटाने के लिए सबसे कारगर उपाय है। आइएमएस-बीएचयू के कोविड वार्ड में सात दिन तक कोरोना के गंभीर मरीजों के उपचार में लगे रहे ( तात्कालिक पंचम तल इंचार्ज) ईएनटी विभाग के डॉक्टर सुशील कुमार अग्रवाल ने दैनिक जागरण से अपना अनुभव साझा किया।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अब तक हुए सभी शोध बताते हैं कि रेमेडेसीवीर मृत्यु दर को कम नहीं करता है। यदि यह बेहतर होता तो गंभीर मरीजों को जरूर बचाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि चेस्ट सीटी स्कैन की रिपोर्ट में सीटी स्कोर 17 से अधिक हो तो तुरंत घर पर ही ऑक्सीजन और स्टेरॉयड के इंजेक्शन या टैबलेट दें, इससे त्वरित लाभ दिखेगा। उन्होंने बताया कि आसानी से 10-12 रुपये मिलने वाले ये स्टेरॉयड फेफड़े के संक्रमण को तत्काल खत्म कर देगा। इससे मृत्युदर में काफी कमी आएगी। यदि ऑक्सीजन का स्तर 93 से अधिक है तो स्टेरॉयड के साथ ही भाप, नेब्यूलाइजर और ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था करें।
दूसरी लहर में बदले कोरोना के लक्षण
डॉ. सुशील अग्रवाल के अनुसार वाराणसी में यह देखा जा रहा है कि कोरोना के 80-85 फीसद मरीज सामान्य दवाइयों से ही स्वस्थ हो जा रहे हैं। बाकी 12 फीसद अस्पताल में बेड की, वहीं 3-4 फीसद ऐसे मरीज हैं जिन्हें आईसीयू और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। कोरोना के दूसरे लहर में संक्रमण के तीसरे ही दिन फेफड़े में संक्रमण के लक्षण दिखने लग रहे हैं। इस बार जरूरी नहीं कि बुखार और सर्दी-खांसी हो, इसमें नए लक्षण आ रहे हैं जैसे श्वांस लेने में दिक्कत, डायरिया, आंखों का लाल होना, कफ, सूंघने व स्वाद की शक्ति कम हो जा रही है।
डबल म्यूटेंट आरटी-पीसीआर की पकड़ से है बाहर
डॉ. अग्रवाल के मुताबिक आरटी पीसीआर निगेटिव आने के बावजूद भी सिटी स्कैन में फेफड़े में वायरस के होने की पहचान हो रही है। इसके पीछे कारण यह है कि दूसरी लहर का वायरस डबल म्यूटेंट या नया वैरिएंट्स है, जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट पहले सामान्य कोरोना के अनुसार बनाई गई जांच प्रणाली थी। इसलिए यह कई बार नए वैरिएंट्स का पता लगाने में अक्षम हो रहा है।