आजमगढ़ में असहाय ग्रामीणों की जान बचाने के लिए डॉक्टर ने छोड़ दी मुंबई नगरी
गांव छोड़ गया था कुछ पाने के लिए मगर पाने के बाद भी अपना गांव नहीं छोड़ा। कोरोना काल में ग्रामीणों की मुसीबतें याद आईं तो मुंबई को छोड़ चल दिए गांव की ओर। ग्रामीण क्षेत्र में जिन मरीजों को कोरोना के भय से डाॅक्टर छूने से परहेज करते हैं।
आजमगढ़, जेएनएन। अपना गांव छोड़ गया था कुछ पाने के लिए, मगर पाने के बाद भी अपना गांव नहीं छोड़ा। कोरोना काल में ग्रामीणों की मुसीबतें याद आईं तो मुंबई को छोड़ चल दिए गांव की ओर। ग्रामीण क्षेत्र में जिन मरीजों को कोरोना के भय से डाॅक्टर छूने से परहेज करते हैं उन मरीजों के पास पहुंचकर डॉक्टर कृष्णा विश्वकर्मा उनकी समस्या पूछकर इलाज कर रहे हैं।
मूल रूप से मोहम्मदपुर विकास खंड के बिसहम मिर्जापुर निवासी डॉ. कृष्णा की पढ़ाई जिले से बाहर हुई। बीएएमएस एमडी बेंगलुरु से करने के बाद कृष्णा ने मुंबई के साईं क्रिटीकेयर हॉस्पिटल में नौकरी की। एक साल तक कोविड-19 के मरीजों के लिए काम किया। कोरोना का पलटवार हुआ और आजमगढ़ के बारे में संक्रमण बढ़ने का पता चला तो मई की शुरुआत में ही वह गांव चले आए। गांव-गांव पहुंचकर मरीजों की सेवा में मुश्किल आ रही थी तो उन्होंने पास के जाफरपुर गांव में क्लीनिक खोल ली।
अब तक दर्जनों ऐसे लोगों को ठीक कर चुके हैं जिनमें कोरोना के लक्षण थे।मरीज की आधी बीमारी तो इनकी बातचीत सेही ठीक हो जाती है जब बीमारी से पहले मरीजों का हालचाल पूछना शुरू करते हैं।आज स्थिति यह है कि लोग बड़े डॉक्टरों और अस्पतालों में न जाकर पहले कृष्णा की दवा लेना मुनासिब समझ रहे हैं।