गाजीपुर में जिला पंचायत चुनाव की ‘तीसरी आंख’ से होगी निगरानी, जिलाधिकारी ने तैयारियों को परखा

जहां एक ओर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए अब तक सात पर्चे बिके वहीं चुनाव की तैयारियों को विकास भवन सभागार में मंगलवार को जिला निर्वाचन अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने परखा। हिदायत दी कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष हो यह सभी की जिम्मेदारी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 09:20 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 09:20 AM (IST)
गाजीपुर में जिला पंचायत चुनाव की ‘तीसरी आंख’ से होगी निगरानी, जिलाधिकारी ने तैयारियों को परखा
डीएम ने कलेक्ट्रेट के चारों दिशाओं में सीसीटीवी कैमरा एवं फोटोग्राफी कराने का निर्देश दिया।

गाजीपुर, जेएनएन। जहां एक ओर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए अब तक सात पर्चे बिके वहीं, चुनाव की तैयारियों को विकास भवन सभागार में मंगलवार को जिला निर्वाचन अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने परखा। हिदायत दी कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष हो यह सभी की जिम्मेदारी है। नामांकन 26 जून, नाम वापसी 29 जून व चुनाव तीन जुलाई को होना है।

डीएम ने कलेक्ट्रेट के चारों दिशाओं में सीसीटीवी कैमरा एवं फोटोग्राफी कराने का निर्देश दिया। अधिशासी अभियन्ता विद्युत को निर्देश दिया कि नामांकन व मतदान के दिन किसी भी दशा में विद्युत आपूर्ति बाधित न हो। कहा कि चुनाव कराने में अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा एवं निष्पक्षता के साथ करें। मतदान मतगणना के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती व वाहनों के पार्किग हेतु व्यवस्था पहले से ही कर लेने को कहा। मतदान एवं मतगणना वाले स्थान पर निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों, निर्वाचन ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मी व निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों के अलावा किसी भी व्यक्ति व जन प्रतिनिधियों का प्रवेश वर्जित होगा। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्रीप्रकाश गुप्ता, मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर जिलाधिकारी भूमि राजस्व, एसपीआरए, क्षेत्राधिकारी नगर, जिला विकास अधिकारी, जिला सेवायोजन अधिकारी एवं अन्य निर्वाचन अधिकारी रहे।

निर्दलीय करेंगे जीत-हार तय-अब तक सेंध लगाने में विफल रहे हैं विपक्षी दल

ढाई दशक से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज रहने वाली सपा इस बार अपना किला बचा पाएगी या यह इस बार ढह जाएगा या बचेगा राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा है। लोगों के अपने तर्क हैं। कांग्रेस व बसपा तो फिलहाल इस चुनाव में भागीदारी के मूड में नहीं दिख रही है, लेकिन सत्ताधारी दल भाजपा पर्दे के पीछे कौन सा खेल खेल रही है निगाह इस पर है। जब तक वह पर्दा नहीं उठाती असली तस्वीर नहीं दिखेगी। पिछले ढाई दशक से समाजवादी पार्टी ने अपने गढ़ में सेंध नहीं लगने दी थी। हालांकि तब बात दूसरी थी , अब हाल दूसरा है यह सबको पता है। पिछले 25 सालों के इतिहास पर गौर करें तो 1995 से 2000 तक सपा की डा. सीमा यादव जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं।

2000 से 2005 तक राधेमोहन सिंह और 2005 से 2010 तक बीना यादव ने सपा का परचम लहराया। 2010 में सपा से ही गीता पासी अध्यक्ष चुनी गईं, लेकिन बीच में सदन में विश्वास मत नहीं हासिल कर पाने के कारण उन्हें जाना पड़ा। इसके बाद विपक्षी दलों ने अध्यक्ष पद हथियाने के लिए पुरजोर प्रयास किया, लेकिन फिर से सपा की पंचरत्न देवी इस पद पर आसीन हो गईं। 2015 में डा. वीरेंद्र यादव अध्यक्ष बने, लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने पर उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा। एक बार फिर विपक्षी दलों ने प्रयास किया, लेकिन सपा की आशा देवी अध्यक्ष बनीं। ढाई दशक के बाद ऐसा मौका आया है जब सपा उतनी मजबूत नहीं दिख रही है जितनी बीते वर्षों में थी। अब तक भाजपा ने पत्ता नहीं खोला है, लेकिन वह मजबूत उम्मीदवार को लेकर मंथन कर रही है।

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