ज्ञानवापी मामले की सुनवायी कर रहे जिला जज कोरोना संक्रमित, 26 अप्रैल को होगी अगली सुनवायी

वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में सोमवार को होने वाली सुनवायी एक बार फ‍िर से टल गई है। ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई होनी थी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 02:50 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 02:52 PM (IST)
ज्ञानवापी मामले की सुनवायी कर रहे जिला जज कोरोना संक्रमित, 26 अप्रैल को होगी अगली सुनवायी
वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में सोमवार को होने वाली सुनवायी एक बार फ‍िर से टल गई है।

वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी मामले में सोमवार को होने वाली सुनवायी एक बार फ‍िर से टल गई है। ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई होनी थी। इस मामले की सुनवायी कर रहे जिला जज के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी। इस याचिका पर अग्रिम सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि मुकर्रर की गई है।

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर 12 अप्रैल को सुनवाई की तिथि मुकर्रर है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी के निर्णय के खिलाफ जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर कर रखी है।

वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा पाठ करने के अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया था। सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के मुकदमे की सुनवाई करने के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई। इनकी ओर से दलील दी गई थी कि वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के बाद उक्त मामले की सुनवाई का सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत को क्षेत्राधिकार नहीं है।

इस पर वादी पक्ष की ओर से आपत्ति जताई गई कि उक्त विवादित परिसर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है। दोनों पक्षों ने अपने-अपने दलीलों के समर्थन में सर्वोच्च अदालत की नजीरों को पेश किया। सिविल जज ने दोनों पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात् 25 फरवरी 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि मुसलमानों के मध्य विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है जबकि गैर मुस्लिम के स्वत्व की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट को है। सिविल जज के इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई है।

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