किसानों के लिए मुसीबत बन गया पराली का निस्तारण, कंबाइन हार्वेस्टर का लेना पड़ रहा सहारा

अवशेष को निस्तारित करना किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। पराली जलाएं तो जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित होने के साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और इसके बदले में सरकार की तरफ से जुर्माना झेलें।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 20 Nov 2020 08:50 AM (IST) Updated:Fri, 20 Nov 2020 08:50 AM (IST)
किसानों के लिए मुसीबत बन गया पराली का निस्तारण, कंबाइन हार्वेस्टर का लेना पड़ रहा सहारा
अवशेष को निस्तारित करना किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है।

गाजीपुर, जेएनएन। फसल कटाई के बाद उसके अवशेष को निस्तारित करना किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। पराली जलाएं तो जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित होने के साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और इसके बदले में सरकार की तरफ से जुर्माना झेलें। वहीं पराली न जलाएं तो सही से खेत की जुताई न हो पाने से अगली फसल की बोआई में दिक्कत हो। 

धान की फसल पककर तैयार है। इसे काटने के लिए मजदूर नहीं मिलने से किसानों को कंबाइन हार्वेस्टर का सहारा लेना पड़ रहा है। यह मशीन एक फीट ऊपर से फसलों की कटाई करती है। इससे काफी अवशेष खेतों में छूट जाता है। 

अगली फसल की बोआई के खातिर खेतों की सही से जुताई करने के लिए किसान पहले अवशेष को जला देते थे। लेकिन इससे किसानों के मित्र कहे जाने वाले कीटों के नष्ट होने के साथ पर्यावरण को काफी क्षति पहुंचती थी। ऐसे में सरकार ने पराली जलाने पर भारी जुर्माने का प्राविधान कर दिया और सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम से लैस कंबाइन मशीनों को ही धान काटने की छूट दी है। ये मशीनें फसलों की कटाई के साथ अवशेष के भी छोटे - छोटे टुकड़े कर देती हैं।

ट्रैक्टर से चलने वाले कुछ चापर भी आ रहे हैं, जिनसे फसलों के अवशेष का निस्तारण किया जा सकता है। लेकिन सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम की कम उपलब्धता के चलते जहां समय से फसल की कटाई नहीं हो पाने से उसमें नुकसान हो रहा है। वहीं इसके लिए किसानों को अलग से खर्च उठाना पड़ रहा है। ऐसे में किसान दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं। 

ये है जुर्माने का प्राविधान 

पराली जलाने पर दो एकड़ तक के किसान पर ढाई हजार रुपये, ढाई एकड़ से पांच एकड़ तक के किसान पर पांच हजार रुपये, पांच एकड़ से अधिक के किसान पर 15 हजार रुपये जुर्माने का प्राविधान है। अगर कोई किसान दो बार आग लगाए तो दो गुना तथा पांच बार आग लगाने पर पांच गुना जुर्माना वसूल किया जाएगा। इसके लिए तहसीलवार निगरानी समिति का गठन किया गया है। 

किसानों को भी हानि जब फसल के अवशेष जलाए जाते हैं तो जमीन का तापमान तीन सौ गुना तक बढ़ जाता है। इससे सुक्ष्म मित्र कीट भी जल जाते हैं और जमीन बंजर होने लगती है। धान की खेत को अवशेष सहित जोतने के बाद खेत में यूरिया का छिड़काव कर पानी छोडऩे से इन अवशेषों को गलाया जा सकता है।

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किसानों को खेतों में पराली जलाने से कार्बन डाइआक्साइड, नाइट्रस आक्साइड आदि का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है। इससे ओजोन की परत कमजोर हो रही है। इसे रोकने के लिए सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माने का प्राविधान कर रखा है। इसलिए पराली कदापि न जलाएं। 

-उदयराज ङ्क्षसह, टेक्निकल असिस्टेंट, कृषि विभाग। 

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