भौमिकी दिवस पर बीएचयू में आज होगी "हिंद महासागर का जैव-रसायन" विषय पर परिचर्चा

उत्तरी हिंद महासागर का गहरा और निचला जल कार्बन डाइआक्साइड में समृद्ध है क्योंकि इसके निर्माण के परिणामस्वरूप सतह प्रोफेसरवायुमंडलीय कार्बन डाइआक्साइड के उच्च जैविक निर्धारण और जल के स्तंभ में बायोजेनिक के टूटने से घुलित कार्बन डाइआक्साइड का उत्पादित होती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 05:00 AM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 05:00 AM (IST)
भौमिकी दिवस पर बीएचयू में आज होगी "हिंद महासागर का जैव-रसायन" विषय पर परिचर्चा
दक्षिणी क्षेत्र सहित हिंद महासागर विश्व के पोषक तत्वों और गर्मी के बजट को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। अपने दक्षिणी क्षेत्र सहित हिंद महासागर विश्व के पोषक तत्वों और गर्मी के बजट को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दक्षिणी महासागर में जैव-भू-रासायनिक चक्रण पूरे महासागर को प्रभावित करता है और उत्तरी हिंद महासागरों में कई प्रक्रियाएं जटिल रूप से टेली-कनेक्टेड हैं। उत्तरी हिंद महासागर, विशेष रूप से, स्थानीय और लंबी दूरी के दोनों कारकों के कारण, विश्व का अत्यधिक उत्पादक बेसिन है। उत्तर हिंद महासागर के उष्णकटिबंधीय स्थान के साथ उच्च उत्पादकता इसे वातावरण में कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन के लिए अनुकूल बनाती है।

उत्तरी हिंद महासागर का गहरा और निचला जल कार्बन डाइआक्साइड में समृद्ध है क्योंकि इसके निर्माण के परिणामस्वरूप सतह प्रोफेसरवायुमंडलीय कार्बन डाइआक्साइड के उच्च जैविक निर्धारण और जल के स्तंभ में बायोजेनिक के टूटने से घुलित कार्बन डाइआक्साइड का उत्पादित होती है। हिंदी महासागर के इन्हीं जैव रासायनिक गुणों पर बुधवार को विशद चर्चा होगी। स्थान होगा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान संंस्थान का भौमिकी विभाग का सभागार और वक्ता होंगे राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान गोवा के निदेशक प्रख्यात पृथ्वी वैज्ञानिक, आचार्य सुनील के सिंह।

विज्ञान संस्थान के भौमिकी विभाग में 06 अक्टूबर को भौमिकी दिवस का आयोजन किया गया है। विभाग यह आयोजन अपने संस्थापक प्राेफेसर केके माथुर की स्मृति में मना रहा है। इस मौके पर बीएचयू के पूर्व छात्र निदेशक समुद्र विज्ञान संस्थान हिंद महासागर की भौतिक, जैव-भू-रासायनिक और पारिस्थितिक गतिशीलता के संदर्भ में व्याख्यान देंगे। यह व्याख्यान हिंद महासागर को दो अन्य महान महासागरों के सापेक्ष तुलनात्मकअध्ययन होगा।

वैश्विक तापमान को नियंत्रित करता है हिंद महासागर : हिंद महासागर अन्य दोनों महासागरों की अपेक्षा अधिक गतिशील और अधिक जटिल है। इसकी यही जटिलता और मानसूनी प्रभाव पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइ आक्साइड के स्तर को नियंत्रित करती है इससे वैश्विक तापमान भी नियंत्रित होता है।

वायुमंडलीय आक्सीजन का आपूर्तिदाता भी : हिंद महासागर की वानस्पतिक समृद्धता के चलते प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से श्वांस लेने वाली आधी वायुमंडलीय आक्सीजन की आपूर्ति भी वहीं से होती है। उत्तरी हिंद महासागर का गहरा और निचला जल कार्बन डाइ आक्साइड में समृद्ध है क्योंकि इसके निर्माण के परिणामस्वरूप सतह की परतों में वायुमंडलीय कार्बन डाइआक्साइड के उच्च जैविक निर्धारण और जल के स्तंभ में बायोजेनिक के टूटने से उत्तर भारत से घुलित कार्बन डाइआक्साइड पहुंचती है। सच कहें तो बंगाल की खाड़ी का वायुमंडलीय कार्बन डाइआक्साइड का शुद्ध अवशोषक है जबकि अरब सागर कार्बन डाइआक्साइड का बारहमासी उत्सर्जक है, इसकी उच्च उत्पादकता के बावजूद कार्बनिक कार्बन के माइक्रोबियल टूटने और ऊर्ध्वाधर मिश्रण में वृद्धि हुई है।

chat bot
आपका साथी