बलिया में क्षय रोग विभाग में गंदगी का अंबार, उपचार के लिए भी करना होगा लंबा इंतजार
सरकार वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त करने की दिशा में काम कर रही है। इसके प्रति सामुदाय की जागरूकता बढ़ाने के लिए नया टीबी रोगी खोजने वाले को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि की भी व्यवस्था है।
बलिया, जागरण संवाददाता। सरकार वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त करने की दिशा में काम कर रही है। इसके प्रति समुदाय की जागरूकता बढ़ाने के लिए नया टीबी रोगी खोजने वाले को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि की भी व्यवस्था है। जनपद में जनवरी से सिंतबंर तक क्षयरोग के 2680 मरीज मिले हैं। सभी को विभाग की ओर से दवा दे दी गई है, लेकिन जिला अस्पताल में क्षय रोग विभाग में क्षय रोगियों काे उपचार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। विभाग के कक्ष में भी गंदगी का अंबार है। कक्ष की लाबी में भी पानी लगा हुआ है। इससे मरीजों और चिकित्सकों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह सब देखकर भी वार्ड ब्वाय व स्वीपर कार्यालय में गप्पे लड़ाने में व्यस्त थे। सोमवार की पड़ताल में ओपीडी में 150 से भी ज्यादा मरीज खड़े थे। उसमें करीब 25 क्षयरोगी थे। बड़ी बात यह कि सभी मरीज एक साथ थे। ऐसे में संक्रमण बढ़ने का खतरा भी कम नहीं था।
केस एक-
सहतवार के सिंगही गांव निवासी भिखारी यादव की तबियत खराब होने पर सुबह ही वह घर से चल दिए। क्षय विभाग स्थित ओपीडी में नौ बजे पर्ची जमा करने के दो घंटे बाद भी उनका नंबर नहीं आया। उन्होंने बताया कि टीबी रोगियों से ज्यादा बुखार व सर्दी वाले मरीजों की भीड़ लगी है। इसके कारण हमलोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
केस दो-
बिल्थरारोड निवासी आरती देवी अपने बेटे के साथ क्षय विभाग में इलाज कराने पहुंची थीं। भीड़ ज्यादा होने के कारण लंबा इंतजार करने के बाद वह चिकित्सक के पास पहुंच सकीं। उन्होंने बताया कि 10 बजे से पर्ची जमा कर इंतजार कर रही थी। लगभग ढाई घंटे बाद नंबर आया और दिखाकर अपने घर गईं।
एक्स-रे मशीन बनी शोपीस
क्षय रोग वाले मरीजों के बेहतर उपचार व जांच के लिए लगी एक्स-रे मशीन शो पीस बनी हुई है। एक्स-रे प्लेट न मिलने से यहां जांच नहीं हो रही है। यहां टेक्नीशियन तैनात हैं।
बोले अधिकारी : विभाग की ओर से क्षय रोगी लगातार खोजे जा रहे हैं। सभी मरीजों को प्रतिमाह स्वास्थ्य केंद्रों से दवा व 500 रुपये पौष्टिक भत्ता मिलता है। ओपीडी में दिक्कतों को दूर किया जाएगा। - डा. आनंद कुमार, नोडल अधिकारी, क्षय रोग