2002 वाराणसी के टकसाल सिनेमा शूटआउट में धनंजय सिंह पर हुआ था हमला, चार लोग हुए थे घायल
बनारस के पहले ओपन शूटआउट के तौर पर पहचाने जाने वाले नदेसर टकसाल शूटआउट पूर्व सांसद धनंजय सिंह के समर्पण को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस शूट आउट में धनंजय सिंह का सामना कभी उसके मित्र रहे अभय सिंह से ही हुआ था।
वाराणसी [दिनेश सिंह]। बनारस के पहले 'ओपन शूटआउट' के तौर पर पहचाने जाने वाले नदेसर टकसाल शूटआउट पूर्व सांसद धनंजय सिंह के समर्पण को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस शूट आउट में धनंजय सिंह का सामना कभी उसके मित्र रहे अभय सिंह से ही हुआ था। 5 अक्टूबर 2002 को बनारस से गुजर रहे धनंजय के काफिले पर हमला हुआ।टकसाल सिनेमा के सामने हुये इस गैंगवॉर में दिन-दहाड़े सड़कों पर दोनों तरफ से गोलियां चलीं थीं। हमले में धनंजय के गनर और उनके सचिव समेत चार लोग घायल हुए थे।तब जौनपुर के रारी के विधायक के तौर पर धनंजय ने इस मामले में अभय सिंह के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया था।
धनंजय सिंह का आपराधिक पृष्ठभूमि
पहले जौनपुर के टीडी कॉलेज और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में शामिल होने वाले धनंजय ने मंडल कमीशन का विरोध करने से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। लखनऊ विश्वविद्यालय में ही उसका परिचय बाहुबली छात्र नेता अभय सिंह से हुआ और यहीं से धनंजय भी विश्वविद्यालय की 'दबंग' राजनीति में शामिल हो गया।कुछ ही सालों में लखनऊ के हसनगंज थाने में उस पर हत्याओं और सरकारी टेंडरों में वसूली से जुड़े आधा दर्जन मुक़दमे दर्ज हो गए। 1998 तक पचास हज़ार के इनामी बन चुके धनंजय सिंह पर हत्या और डकैती समेत 12 मुकदमे दर्ज हो चुके थे।
1998 का भदोही फेक एनकाउंटर
तारीख 17 अक्टूबर 1998 थी जब पुलिस को मुखबिरों से सूचना मिली कि 50 हजार के इनामी वांटेड क्रिमिनल' धनंजय सिंह 3 अन्य लोगों के साथ भदोही मीरजापुर रोड पर बने एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने वाला है। सूचना पर काम करते हुए स्थानीय पुलिस ने दोपहर 11.30 बजे पेट्रोल पंप पर छापा मारा और मुठभेड़ में मारे गए 4 लोगों में एक को धनंजय सिंह बताकर मृत घोषित कर दिया गया लेकिन सच ये था कि धनंजय जिंदा और फरार था।कई महीनों तक अपनी मौत की खबर पर चुप बै ठा रहा। फ़रवरी 1999 में जब वह पुलिस के सामने पेश हुआ तब भदोही फेक एनकाउंटर का राज खुला। धनंजय के जिंदा सामने आने के तुरंत बाद मामले में मानवाधिकार आयोग की जांच बैठी और बाद में फेक एनकाउंटर में शामिल 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए। इस केस की सुनवाई भदोही की स्थानीय अदलात में अब भी जारी है।