वाराणसी में शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

शारदीय नवरात्र आरंभ हो चुका है। नौ दिनों में देवी पूजा का विशेष महात्म है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के आराधन-पूजन का विधान है। माता ब्रह्मचारिणी भगवती की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 10:34 AM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 10:34 AM (IST)
वाराणसी में शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के आराधन-पूजन का विधान है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। शारदीय नवरात्र आरंभ हो चुका है। नौ दिनों में देवी पूजा का विशेष महात्म है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के आराधन-पूजन का विधान है। माता ब्रह्मचारिणी भगवती की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप हैं।

माता के दर्शन मात्र से प्राप्त होती है यश-कीर्ति

बालाजी घाट के किनारे स्थित मां ब्रह्मचारिणी मंदिर में भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से ही आस्थावानों को यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि भोर में तीन बजे माता को पंचामृत स्नान कराया गया। उसके बाद माता को वस्त्र, आभूषण और मुकुट धारण कराया गया। इसके बाद बेला, चमेली, गुलाब, गुड़हल, कमल के पुष्पों से माता के दरबार को सजाकर उनका विशेष श्रृंगार किया गया। फिर महाआरती की गई। इसके बाद आम भक्तों के दर्शन के लिए माता का कपाट खोल दिया गया। सुबह के पांच बजे से लगातार आस्थावानों की भीड़ मंदिर में जुटी है। श्रद्धालु कतारबद्ध होकर माता के चरणों में मत्था टेककर आशीष ले रहे हैं। वहीं मन ही मन अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की अर्जी लगा रहे हैं। कतारबद्ध श्रद्धालु हाथ में प्रसाद की टोकरी (नारियल, चुनरी, माला-फूल) लेकर पूरे श्रद्धा-भक्ति के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

मिश्री का लगाया गया भोग

माता ब्रह्मचारिणी को मिश्री अतिप्रिय है। इस कारण माता को मिश्री का भोग लगाया गया है। मान्यता है मिश्री का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं। जिससे लंबी आयु का सौभाग्य प्राप्त होता है।

chat bot
आपका साथी