शरद पूर्णिमा के मौके पर विंध्यधाम में उमड़े श्रद्धालु, मां विंध्यवासिनी देवी का किया दर्शन-पूजन

शरद पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर चतुर्दशी तिथि के अवसर पर मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के लिए शुक्रवार की भोर से ही भक्‍तों का तांता लगा रहा। जगत जननी की भव्य आरती के समय मां के जयघोष से विंध्यधाम देवीमय हो रहा था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 05:02 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 06:43 PM (IST)
शरद पूर्णिमा के मौके पर विंध्यधाम में उमड़े श्रद्धालु, मां विंध्यवासिनी देवी का किया दर्शन-पूजन
विंध्याचल मंदिर में मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के लिए कतारबद्ध श्रद्धालु।

मीरजापुर, जेएनएन। शरद पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर चतुर्दशी तिथि के अवसर पर मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के लिए शुक्रवार की भोर से ही भक्‍तों का तांता लगा रहा। विंध्य की समस्त गलियां आस्थावानों से पटी रही। वहीं गंगा घाटों पर स्नान-ध्यान करने वालों का रेला लगा रहा तो मुंडन-संस्कार कराने वालों की भी संख्या अधिक रही। इस दौरान श्रद्धालुओं को दुर्व्‍यवस्था व असुरक्षा का सामना करना पड़ा।

पुष्पों से मां का किया गया भव्य श्रृंगार दर्शन पाकर भक्तजन अभिभूत हो उठे। जगत जननी की भव्य आरती के समय मां के जयघोष से विंध्यधाम देवीमय हो रहा था। पूर्णिमा पर जगत जननी आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी देवी के पावन धाम में देश के कोने-कोने से पहुंचे भक्‍तों ने मंगलकामना की। क्या छोटे, क्या बड़े सभी श्रद्घा-भाव से मां के भव्य स्वरूप का दर्शन पाने के लिए लालायित दिखाई पड़े। गंगा में डुबकी लगाने के बाद भक्त माला-फूल नारियल-चुनरी, रोरी-रक्षा, लाचीदाना-कपूर आदि लेकर मंदिर पहुंचे, जहां जगत जननी के दिव्य स्वरूप का दर्शन पाकर निहाल हो उठे।

सुबह से ही विंध्यधाम की गलियों में श्रद्घालुओं की लंबी कतार लगी रही। भक्‍त हाथ में प्रसाद आदि लिए नंगे पांव मां का जयकारा लगाते विंध्यधाम की तरफ चले जा रहे थे। मां का दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने मंदिर परिसर में विराजमान समस्त देवी-देवताओं के मंदिरों में पहुंच कर मत्था टेका। मंदिर की छत पर जहां साधक वैदिक मंत्रोच्चारण बीच अनुष्ठान पूजन करते रहे, वहीं मुंडन संस्कार का भी दौर देर तक चला। दीवान घाट, पक्का घाट व गुदारा घाट पर श्रद्धालुओं को गंदगी से जूझना पड़ा। थाना कोतवाली से मंदिर मार्ग पर नाली का गंदा पानी बह रहा है और उसी गंदे पानी से होकर श्रद्धालु मंदिर तक पहुंच रहे थे। मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के बाद भक्तों ने त्रिकोण परिक्रमा की। पहाड़ पर विराजमान मां काली और मां अष्टभुजा देवी के पावन धाम में शीश नवाने के बाद भक्तों ने पहाड़ पर स्थित अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों में जाकर पूजन-अर्चन किया।

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