चंदौली और सोनभद्र का माडल अपनाकर करें विकास, यूएनडीपी ने राज्यों को दी सलाह

नीति आयोग की ओर से अतिपिछड़ा घोषित चंदौली और सोनभद्र जनपद तीन साल में विकास के कई नए आयाम स्थापित कर चुके हैं। खासतौर से चंदौली ने पिछले साल आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में काला चावल का निर्यात कर झंडा बुलंद किया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 07:50 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 07:50 AM (IST)
चंदौली और सोनभद्र का माडल अपनाकर करें विकास, यूएनडीपी ने राज्यों को दी सलाह
चंदौली ने पिछले साल आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में काला चावल का निर्यात कर झंडा बुलंद किया है।

चंदौली, जेएनएन। नीति आयोग की ओर से अतिपिछड़ा घोषित चंदौली और सोनभद्र जनपद तीन साल में विकास के कई नए आयाम स्थापित कर चुके हैं। खासतौर से चंदौली ने पिछले साल आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में काला चावल का निर्यात कर झंडा बुलंद किया है। वहीं स्वास्थ्य, कौशल विकास और कृषि के क्षेत्र में बेहतर काम किया। यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम) ने अपनी रिपोर्ट में काला चावल की खेती से किसानों की आय बढ़ाने पर तारीफ की है। वहीं देश के अन्य राज्यों को चंदौली व सोनभद्र का माडल अपनाने की सलाह दी है।

प्रधानमंत्री ने 2018 में आकांक्षात्मक जनपद प्रोग्राम शुरू किया था। नीति आयोग ने विकास से दूर चंदौली और सोनभद्र जनपद को अतिपिछड़ा घोषित किया था। इन जिलों में विकास के पांच इंडीकेटर्स निर्धारित किए गए। स्वास्थ्य व पोषण, शिक्षा, कृषि व जल संसाधन, कौशल विकास व वित्तीय समावेशन और मूलभूत सुविधाओं के क्षेत्र में विकास का लक्ष्य तय किया। आयोग की ओर से विकास कार्यों की मानीटरिंग भी की गई। इसकी नियमित रिपोर्ट आयोग को भेजी गई। इसके आधार पर ही आयोग ने मासिक रैंकिंग तय की। कोरोना संक्रमण के कारण मार्च और अप्रैल में आयोग की रैंकिंग नहीं हो पाई है। हालांकि यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में चंदौली व सोनभद्र जनपद की तारीफ की है। स्पष्ट कहा कि धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली जिले में काला चावल की खेती शुरू कराकर किसानों की आय दोगुना करने की कवायद की गई। चावल आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड निर्यात किया गया। इसके बदले किसानों को 200 रुपये प्रति किलो मूल्य मिला। इससे किसानों की माली हालत में सुधार हुआ है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी उत्तरोत्तर विकास हो रहा है। देश के अन्य राज्य भी चंदौली और सोनभद्र का माडल अपनाकर अतिपिछड़ों जिलों का तेजी से विकास कर सकते हैं।

सुविधा संपन्न हुए अस्पताल, विद्यालयों की सूरत बदली

पिछले तीन साल में चंदौली और सोनभद्र जनपद में काफी कुछ बदलाव हुआ है। कोरोना काल में अस्पताल सुविधा संपन्न हुए। जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी तक आक्सीजन प्लांट से लैस हो गए। वहीं आइसीयू व पीडियाट्रिक वार्ड बन गए। इसके अलावा स्कूलों की भी सूरत बदल गई। खनिज पथ समेत मुख्य मार्गों का चौड़ीकरण व निर्माण कराया जा रहा है। 13 हजार प्रवासियों को रोजगार से जोड़ा गया। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं वित्तीय गतिविधियों में जुटी हैं। इससे कौशल विकास व वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में जिले की रैंकिंग अच्छी है।

सोनभद्र में तीन वर्षों में पहले के मुकाबले हुआ अधिक विकास

सोनभद्र में पिछले तीन वर्षों के दौरान पहले के मुकाबले कहीं अधिक विकास हुआ है। स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन जैसे क्षेत्रों में अहम परिवर्तन आए हैं। नीति आयोग की पहल से ही जिले में परिषदीय स्कूलों का कायाकल्प हुआ है। कई परिषदीय विद्यालयों में प्रोजेक्टर से पढ़ाई हो रही है। स्कूलों में बेंच व टेबल पर नौनिहाल बैठ रहे हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी संसाधन बढ़े हैं। जिला संयुक्त चिकित्सालय, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पेयजल, स्वच्छता में सुधार होने के साथ ही इन चिकित्सालयों में अत्याधुनिक मशीनों के लगने से लोगों का काफी राहत मिली है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य हेल्प सेंटर खुलने से लोगों को भटकना भी नहीं पड़ रहा है। नीति आयोग की ही देन है कि लोग जिले में बुनियादी बदलाव देखने को मिल रहा है।

बोले अधिकारी  : आयोग के दिशा निर्देश पर जिले में विकास कार्य कराए जा रहे हैं। जनपद दो बार देश में पहले व एक बार दूसरे स्थान पर रहा है। यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, कृषि के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। -संजीव सिंह, जिलाधिकारी

chat bot
आपका साथी