वाराणसी में कोरोना से जान गंवाने वालों के आश्रितों को मिलेंगे पचास हजार, तीन दर्जन आए आवेदन

कोरोना की चपेट में आकर जान गंवाने वालों के आश्रितों को पचास हजार रुपये मिलेंगे। मुख्यमंत्री ओर से घोषणा कर दी गई है। इधर इस बाबत आवेदन भी आने शुरू हो गए हैं। लगभग तीन दर्जन लोगों की ओर से आवेदन किया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 07:47 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 07:47 AM (IST)
वाराणसी में कोरोना से जान गंवाने वालों के आश्रितों को मिलेंगे पचास हजार, तीन दर्जन आए आवेदन
कोरोना की चपेट में आकर जान गंवाने वालों के आश्रितों को पचास हजार रुपये मिलेंगे।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। कोरोना की चपेट में आकर जान गंवाने वालों के आश्रितों को पचास हजार रुपये मिलेंगे। मुख्यमंत्री ओर से घोषणा कर दी गई है। इधर, इस बाबत आवेदन भी आने शुरू हो गए हैं। लगभग तीन दर्जन लोगों की ओर से आवेदन किया गया है।

एडीएम वित्त एवं राजस्व संजय कुमार ने बताया कि अभी शासनादेश नहीं आया है। आदेश आते ही इस दिशा में प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। वहीं आपदा राहत विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस बाबत जो भी आवेदन आ रहे हैं, जमा कर लिया जा रहा है। सूची भी सीएमओ से मांगी गई है।

हालांकि कोविड पाजिटिव होने के कितने बाद हुई मृत्यु के मामले में आवेदन स्वीकृत किया जाएगा। यह तय नहीं है। विभाग के अफसरों का कहना है कि आदेश आने के बाद तय होगा। हालांकि सरकारी रिकार्ड के मुताबिक जिले में कोविड की पहली लहर में 377 व कोविड की दूसरी लहर यानी 11 मार्च 2021 से अब तक 396 लोगों की मौत हुई है।

बताया जा रहा है कि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के आश्रितों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने के बारे में केंद्र सरकार ने पिछले दिनों न्यायालय में शपथपत्र दाखिल किया था। बताया था कि मुआवजे की रकम राज्य आपदा मोचक निधि से दी जाएगी। इसी क्रम में मुख्यमंत्री की ओर से यह राशि देने की घोषणा की गई है।

आदेश के बाद तय होंगे, इसमें कैसे कार्य किया जाना है

कोविड से मरने वालों के आश्रितों को पचास हजार रुपये देने की घोषणा मुख्यमंत्री की ओर से की गई है। इस बाबत आदेश का इंतजार है। आदेश के बाद तय होंगे, इसमें कैसे कार्य किया जाना है।

-कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी

श्वास के रोगियों लिए आफत बन रहा बदलता मौसम

मौसम बहुत ही तेजी से फैल रहा है। ऐसे में आपको बहुत अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर श्वास संबंधी रोगियों को। अगर थोड़ी भी लापरवाही हुई तो लेने के देने पड़ जाएंगे। मौसम में बदलाव के कारण चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल स्थित टीबी एंड चेस्ट विभाग की ओपीडी में सांस संबंधी रोगों के रोजाना करीब 200-250 मरीज आ रहे हैं। इसमें से 30-40 मरीज दमा के ही आ रहे हैं। ऐसे में दमा के मरीजों को बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें सीधे पंखे के नीचे सोना बंद कर देना चाहिए। अगर सोते भी हैं तो भोर में पंखा बंद कर दें या फिर उसकी स्पीड कम कर दें। वरना पुरानी बीमारी भी उभर जाएगी।

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