हाईकोर्ट में बाबा दरबार का मामला, नौबतखाना में तोडफ़ोड़ रोकने पर फैसला सुरक्षित
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित नौबतखाना में तोडफ़ोड़ न करने तथा बेदखली से रोकने की अपील पर अपर सिविल जज- चतुर्थ (सीनियर डिविजन) की अदालत में शुक्रवार को सुनवाई की गई।
वाराणसी, जेएनएन। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित नौबतखाना में तोडफ़ोड़ न करने तथा बेदखली से रोकने की अपील पर अपर सिविल जज- चतुर्थ (सीनियर डिविजन) की अदालत में शुक्रवार को सुनवाई की गई। इसमें पक्षकारों ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा। फिलहाल अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए निर्णय के लिए एक मार्च की तिथि मुकर्रर की है। मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण के कार्यों के बीच परिक्षेत्र स्थित नौबतखाने से बेदखल न करने तथा उक्त भवन में तोडफ़ोड़ को रोकने को लेकर दीपक सैनी व अन्य ने अपर सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत में अपील की थी। इस मामले में 21 फरवरी को उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालय को मुकदमे की तय तिथि या दो सप्ताह के भीतर अपील पर सुनवाई का आदेश दिया था।
प्रकरण के मुताबिक रमेश व अन्य ने वर्ष 1989 में विश्वनाथ गली के भवन संख्या- 9/11 से बेदखल न किए जाने को लेकर नगर महापालिका, काशी विश्वनाथ मंदिर व प्रदेश सरकार को पक्षकार बनाते हुए सिविल जज की अदालत में मुकदमा दायर किया था। अदालत ने पक्षकारों को बेदखल किए जाने को लेकर निषेधाज्ञा आदेश पारित किया था जो अब तक प्रभावी है। समय के साथ कई पक्षकार दिवंगत हो गए और उनके वंशज मुकदमे में पक्षकार बनते चले गए। इस बीच दीपक सैनी व अन्य पक्षकारों ने उक्त कथित विवादित भवन (नौबतखाना) में मंदिर प्रशासन पर तोडफ़ोड़ किए जाने का आरोप लगाते हुए पहले तो शासन को पत्र लिखते हुए रोकने की गुहार लगाई। यह भी बताया कि उक्त भवन पर कोर्ट द्वारा किसी तरह की कार्रवाई न करने का स्थगन आदेश है। इसके बावजूद भवन को तोड़ा जा रहा है और मंदिर प्रशासन उन्हें बेदखल करने पर आमादा है। पक्षकारों ने इसी संदर्भ में अदालत में अपील कर तोडफ़ोड़ रोकने तथा बेदखल न किए जाने की अपील की।
ऐतिहासिक नौबतखाना : मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1780 में इंदौर की तत्कालीन महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया। इस ज्योतिर्लिंग में गैर हिंदुुओं का प्रवेश निषेध हुआ करता था। धर्म-मजहब से परे सार्वभौमिक आस्था को देखते हुए 1785 में वारेन हेस्टिंग्स के निर्देश पर तत्कालीन मजिस्ट्रेट मो. इब्राहिम खान ने मुख्य द्वार के सामने नौबतखाना बनवाया। इसमें से ही विदेशी और गैर हिंदू बाबा की झांकी पाते थे। यहां से मंदिर तक ऊपरगामी सेतु बना था जिससे बाबा को पुष्प या अन्य सामग्री अर्पण के लिए भेजी जा सकती थी। जेम्स प्रिंसेप तक ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख किया है।