काशी विश्वनाथ- ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज की अदालत में बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में मंगलवार को बहस पूरी होने के साथ ही फैसला सुरक्षित हो गया। वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका की पोषणीयता पर अब निर्णय होना है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 04:59 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 09:14 AM (IST)
काशी विश्वनाथ- ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज की अदालत में बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित
अदालत में मंगलवार को बहस पूरी होने के साथ ही फैसला सुरक्षित हो गया।

वाराणसी, जेएनएन।  ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका की ग्राह्यता पर मंगलवार को जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में बहस पूरी हो गई। पक्षकारों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है। मुकदमे की सुनवाई के क्षेत्राधिकार पर सिविल जज के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एक जुलाई तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 18 सितंबर को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई थी।

मंगलवार को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका की ग्राह्यता (एडमिशन) पर सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता तौहिद खान व अभयनाथ यादव ने दलील दी कि सिविल जज का आदेश अंतिम आदेश है। इस आदेश से मेरा अधिकार प्रभावित होता है लिहाजा सिविल जज का आदेश निगरानी योग्य है। उसी आदेश से प्रभावित अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की याचिका ग्राह्य कर ली गई है। ऐसे में हमारी भी निगरानी याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली जाए। उधर, प्राचीन मूर्ति  स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आपत्ति जताते हुए दलील दी कि उक्त निगरानी याचिका सिविल जज के अंतरिम आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है। इस आदेश के विरुद्ध सिविल निगरानी याचिका ग्राह्य नहीं हो सकती। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलों के समर्थन में सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय की नजीरों को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया।

बता दें कि वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा ङ्क्षहदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान वाद मित्र ने ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल का भौतिक एवं पुरातात्विक ²ष्टि से भारतीय सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अदालत से अपील की। वादमित्र की इस अपील का निस्तारण होना है। इस बीच सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलों के साथ नजीरें पेश की। सिविल जज ने पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात 25 फरवरी 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था। 

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