जिंक के अत्यधिक सेवन वाले देशों में कोरोना संक्रमण संग मृत्यु दर ज्यादा, आप भी हो जाएंं अलर्ट

तथ्य चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) बीएचयू के विज्ञानियों के कोरोना पर शोध में सामने आया है। जिन देशों में लोगों ने भोजन या सप्लीमेंट रूप में जिंक का अधिक सेवन किया वहां कोरोना संक्रमण और मृत्यु दर ज्यादा रही।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 08:00 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 08:00 AM (IST)
जिंक के अत्यधिक सेवन वाले देशों में कोरोना संक्रमण संग मृत्यु दर ज्यादा, आप भी हो जाएंं अलर्ट
प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला जिंक अत्यधिक सेवन पर घातक भी है।

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। शरीर के विकास व रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला जिंक अत्यधिक सेवन पर घातक भी है। यह तथ्य चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) बीएचयू के विज्ञानियों के कोरोना पर शोध में सामने आया है। जिन देशों में लोगों ने भोजन या सप्लीमेंट रूप में जिंक का अधिक सेवन किया, वहां कोरोना संक्रमण और मृत्यु दर ज्यादा रही। सलाह दी गई है कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के ङ्क्षजक का सेवन न करें। शोध के अनुसार उच्चस्तरीय चिकित्सा संस्थानों वाले यूरोप में कोरोना काल में जिंक सेवन को अधिक प्रोत्साहित करने के कारण वहां पर कोविड मृत्यु दर में कम सेवन करने वाले देशों की तुलना में 150-200 गुना का अंतर रहा।

चार विभागों ने मिलकर किया शोध : यह शोध आइएमएस स्थित सेंटर आफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन एंड सर्जरी के डा. समर सिंह, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डा. अमिता दिवाकर, स्टेटिक्स विभाग -विज्ञान संस्थान के डा. बृजेश पी. सिंह व आइएमएस-बायोकेमेस्ट्री विभाग के डा. राकेश कुमार ङ्क्षसह ने किया। 17 सितंबर को यह अर्जेंटीना के जर्नल फ्रंटियर्स इन इम्यूनोलाजी में प्रकाशित हुआ।

पूर्व के शोध में भी दुष्परिणाम की बात : शोधपत्र में रेखांकित किया है कि कोरोना की समान मार का एक प्रमुख कारण जिंक का अत्यधिक सेवा हो सकता है। जिसने विभिन्न आबादियों पर कोरोना के प्रकोप, जटिलताओं व मृत्यु दर को बढ़ाया होगा। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जिसमें जिंक के अतिसेवन से होने वाले दुष्परिणाम को देखा गया हो। गत वर्ष रिसर्च जनरल जामा (जेएएमए) में प्रकाशित एचआइवी रोगियों पर हुए अनुसंधान में भी अधिक प्रयोग की जटिलताओं को बताया गया था।

गत वर्ष डेटा पर हुए में दिखा अंतर : विज्ञानियों ने विभिन्न देशों की दस लाख आबादी द्वारा जिंक के सेवन और कोरोना से हुई मौतों को शोध का आधार बनाया। डा. समर सिंह ने बताया कि इसमें सामने आया कि फ्रांस, यूके, इटली, स्पेन और स्वीडन आदि देशों में 455 से अधिक मृत्यु दर प्रति 10 लाख आबादी पर ज्यादा ङ्क्षजक सेवन करने वालों की हुई। अमेरिका में प्रति दस लाख पर ये मृत्यु दर 377 रही, जबकि कनाडा में 230 रही। कम जिंक सेवन वाले देशों लिथुआनिया, हंगरी, जर्मनी, पोलैंड व यूक्रेन में प्रति दस लाख पर मृत्यु दर 110 व भारत में केवल 11 रही।

कोरोना की दूसरी लहर में मृत्यु दर : दूसरी लहर से जुड़े आवर वल्र्ड इन डाटा व वल्र्डो मीटर्स के डेटा में भी ऐसे निष्कर्ष सामने आए। जिसके अनुसार अमेरिका में प्रति दस लाख पर मृत्यु दर 2144, कनाडा में 742 और भारत में प्रति दस लाख पर सबसे कम 323 मृत्यु दर रही है।

भोजन से ही हो जाती है ङ्क्षजक की पूर्ति जिंक शरीर के लिए आवश्यक तत्वों में से एक है। हमें रोज 8-11 मिलीग्राम जिंक की जरूरत होती है। इसकी पूर्ति भोजन से होती है। शाकाहारियों के लिए दालें, सूखे मेवे, अनाज (बीज), दूध व अन्य के लिए अंडे व मांस जिंक के प्रमुख स्रोत हैं।

इस सोच से बढ़ा अनावश्यक सेवन : जिनमें कोरोना कंप्लीकेशंस दिखा उनके सीरम में जिंक कम था। ऐसे में सोच बनी कि ङ्क्षजक की अधिक मात्रा कोरोना उद्भव प्रक्रिया को बाधित कर सकती है। जिंक सप्लीमेंटेशन कोरोना से बचा सकता है।

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