वाराणसी मेंं फर्जी जानकारी देकर बनवाया मृत्यु प्रमाण पत्र, नगर निगम प्रशासन ने भेजी नोटिस तो आवेदक ने मानी गलती

फर्जी जानकारी देकर नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर लिया गया था। स्थानीय पार्षद की मदद से आवेदक ने निजी उद्देश्य साधने में सफलता पा ली थी। इसमें स्थानीय पार्षद ने भी नगर निगम को धोखे में रखा। मौके पर गई टीम भी मामले को नहीं पकड़ सकी।

By Milan KumarEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 09:00 PM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 09:00 PM (IST)
वाराणसी मेंं फर्जी जानकारी देकर बनवाया मृत्यु प्रमाण पत्र, नगर निगम प्रशासन ने भेजी नोटिस तो आवेदक ने मानी गलती
स्थानीय पार्षद की मदद से आवेदक ने निजी उद्देश्य साधने में सफलता पा ली थी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : फर्जी जानकारी देकर नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर लिया गया था। स्थानीय पार्षद की मदद से आवेदक ने निजी उद्देश्य साधने में सफलता पा ली थी। इसमें स्थानीय पार्षद ने भी नगर निगम को धोखे में रखा। प्रमाण पत्र जारी करने से पहले मौके पर गई नगर निगम की जांच टीम भी मामले को नहीं पकड़ सकी। बाद में जब मृतक की पत्नी ने आपत्ति की तो नगर निगम प्रशासन के होश उड़ गए। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. एनपी सिंह के आदेश पर मामले की जांच हुई तो प्रकरण में कूटरचना सामने आई। इसके बाद प्रदत्त अधिकार का प्रयोग करते हुए नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने जारी मृत्यु प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। पोर्टल पर भी पूरी कार्यवाही अपलोड कर दी गई।

दो स्थानों से जारी हो गया मृत्यु प्रमाणपत्र

खास यह कि इस प्रकरण में राष्ट्रीय स्तर पर बने जन्म-मृत्यु पंजीयन पोर्टल में खामियां उजागर हो गईं। आनलाइन व्यवस्था के बावजूद एक ही व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र दो स्थानों से जारी हो गया। एक प्रमाणपत्र नगर निगम वाराणसी ने जारी किया तो दूसरा गाजीपुर नगर पालिका परिषद ने। मामला लक्ष्मी कुंड लक्सा का है जहां के मूल निवासी डा. वीरेश्वर नारायण थे। पेशे से चिकित्सक होने पर उनकी तैनाती बलिया के जिला अस्पताल में थी। सेवानिवृत्ति के बाद वे सेवा विस्तार अनुबंध पर चिकित्सा कार्य कर रहे थे। 30 नवंबर 2020 को उनकी तबीयत बिगड़ी। उनके साथ काम करने वाले कर्मचारीगण अनिल कुमार, आनंद जायसवाल, श्रीराम शुक्ला उन्हें लेकर बीएचयू अस्पताल आ रहे थे। रास्ते में तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो गाजीपुर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत बताया। इसके बाद कर्मचारियों ने मूल निवास स्थान के रहनवार पारिवारिक सदस्यों को सूचित किया। मृतक के छोटे भाई अखिलेश्वर नारायण के अनुसार कर्मचारी उनको घर लाए। एक दिसंबर 2020 को परिवार के लोगों ने उनका दाह संस्कार किया।

नोटिस जारी कर मांगा स्पष्टीकरण

छोटे भाई के आवेदन पर स्थानीय पार्षद लकी वर्मा की ओर से प्रमाणिक पत्र व मोहल्‍ले के दो गवाहों के आधार पर नगर निगम ने 30 दिसंबर 2020 को प्रमाणपत्र जारी कर दिया। इसके बाद पत्नी रूबी कुमारी ने गाजीपुर अस्पताल से जारी पत्र के आधार पर आठ जनवरी 2021 को गाजीपुर नगर पालिका परिषद से भी प्रमाणपत्र प्राप्त किया। रूबी कुमारी को जब मालूम हुआ कि नगर निगम वाराणसी से भी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ है तो उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई। इस पर नगर निगम ने मृतक के छोटे भाई व प्रमाणपत्र के लिए आवेदनकर्ता अखिलेश्वर नारायण को 26 अगस्त को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा। आवेदनकर्ता ने आठ सितंबर को जवाब दाखिल किया। नगर निगम ने आवेदक के पत्र को आधार बनाते हुए जारी प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अफसर

वाराणसी नगर निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. एनपी सिंह कहते हैं कि कूटरचना कर प्रमाणपत्र बनवाया गया था जिसकी जानकारी होने पर नगर निगम ने जारी प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया। बताया कि मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए प्राथमिकता अस्पताल से जारी पत्र को दिया जाता है। यदि घर पर संबंधित की मौत हुई तो स्थानीय पार्षद से जारी पत्र को आधार बनाकर विभाग द्वारा जांच कराई जाती है। इस दौरान दो लोग गवाही देते हैं जिनसे संबंधित कागजात भी संलग्न किया जाता है। प्राथमिकता के आधार पर गाजीपुर अस्पताल से जारी पत्र के आधार पर बने प्रमाणपत्र को सही मानते हुए नगर निगम की ओर से जारी प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया गया। नगर स्वास्थ्य अधिकारी पोर्टल की खामियों को लेकर कोई जवाब नहीं दिया। कहा कि मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है। पोर्टल को लेकर नगर निगम का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।

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