Death Anniversary Shyamacharan Lahiri: योगी श्यामाचरण ने योग से दिया सर्वधर्म समभाव का संदेश
पूरे विश्व में आज योग की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। कई योगाचार्यों ने इसमें महती योगदान दिया है। इसी में एक हैं काशी के योगी श्यामाचरण लाहिड़ी जिन्होंने दुनिया को योग के विविध आयाम और क्रियाओं से परिचित कराया।
वाराणसी [सौरभ चक्रवर्ती]। पूरे विश्व में आज योग की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। कई योगाचार्यों ने इसमें महती योगदान दिया है। इसी में एक हैं काशी के योगी श्यामाचरण लाहिड़ी (जन्म : 30 सितंबर 1828 - निधन : 26 सितंबर 1895), जिन्होंने दुनिया को योग के विविध आयाम और क्रियाओं से परिचित कराया। योगी श्यामाचरण लाहिड़ी ने सभी धर्मों में योग के महत्व को समझाया। कहा, मुसलमानों को रोज पांच बार नमाज पढऩा चाहिए। हिंदू को दिन में कई बार ध्यान में बैठना चाहिए। ईसाई को रोज कई बार घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना कर बाइबिल का पाठ करना चाहिए। इस दौरान होने वाली क्रियाओं को योग से जोड़ा।
18वीं शताब्दी के उच्चकोटि के साधक श्यामाचरण लाहिड़ी के योग की विशेषता यह थी कि गृहस्थ मनुष्य भी योगाभ्यास से शांति प्राप्त कर योग के उच्चतम शिखर पर पहुंच सकते थे। योगी श्यामाचरण ने अपने अनुयायियों को उनकी प्रवृत्तियों के अनुसार भक्तियोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग व राजयोग के मार्ग पर चलने का संदेश दिया था। हिंदू, मुसलमान, ईसाई सभी को बिना भेदभाव के दीक्षा देते थे। उन्होंने अपने समय में व्याप्त कट्टर जातिवाद को कभी महत्व नहीं दिया। अन्य धर्मावलंबियों से यही कहते थे कि आप अपनी धार्मिक मान्यताओं का आदर और अभ्यास करते हुए क्रियायोग द्वारा मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
बंगीय समाज के सचिव देवाशीष दास बताते हैं कि बंगाल के नदिया जिले में कृष्णनगर के निकट धरणी नामक ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार में 30 सितंबर, 1828 को जन्मे श्यामाचरण लाहिड़ी का पठन-पाठन काशी में हुआ। जंगमबाड़ी में रहने वाले श्यामाचरण जीविकोपार्जन के लिए छोटी उम्र में नौकरी में लग गए। दानापुर में मिलिट्री एकाउंट्स आफिस में कार्यरत थे।
हिमालय में गुरु की प्राप्ति व दीक्षा
कुछ समय के लिए वह सरकारी काम से अल्मोड़ा के रानीखेत भेज दिए गए थे। उसी दौरान हिमालय की वादियों में गुरु की प्राप्ति व दीक्षा हुई। 1880 में पेंशन लेकर काशी आ गए और पुराने निवास स्थान में रहने लगे। आज भी निवास पर सुबह व शाम पुजारी आकर पूजा करते हैं। केवल गुरु पूर्णिमा के दिन अंदर जाने की अनुमति है। शासन-प्रशासन ने निवास तक जाने के लिए मुख्य सड़क पर होर्डिंग लगाई है।
योग क्रिया की दीक्षा के लिए गुरुधाम आश्रम
योग क्रिया की दीक्षा देने की परंपरा वर्षों पुरानी है। गुरुधाम आश्रम की स्थापना इसी उद्देश्य से हुई थी कि योग विद्या जन-जन तक पहुंचाई जा सके। देश में उनके शिष्यों द्वारा स्थापित आश्रमों में से गुरुधाम आश्रम सबसे महत्वपूर्ण है जहां पर क्रिया योग की दीक्षा दी जा रही है। माना जाता है कि क्रिया योग राजा जनक, श्रीराम व संत कबीर जैसे मनीषियों ने भी किया था।