पुण्‍यतिथि : BHU के वैज्ञानिक डा. आत्माराम ने बनाया भारत को आप्टिकल ग्लास में आत्मनिर्भर

भारत को आप्टिकल ग्लास उद्योग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने वाले बिजनौर में 12 अक्टूबर 1908 को जन्‍मे प्रख्यात वैज्ञानिक डा. आत्माराम ने बीएचयू से ही अपने वैज्ञानिक जीवन की शुरूआत की थी। 1926 के बाद वह बनारस में ही रहे और यहीं पर अपने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sat, 06 Feb 2021 10:55 AM (IST) Updated:Sat, 06 Feb 2021 10:55 AM (IST)
पुण्‍यतिथि : BHU के वैज्ञानिक डा. आत्माराम ने बनाया भारत को आप्टिकल ग्लास में आत्मनिर्भर
प्रख्यात वैज्ञानिक डा. आत्माराम ने बीएचयू से ही अपने वैज्ञानिक जीवन की शुरूआत की थी।

वाराणसी, जेएनएन। भारत को आप्टिकल ग्लास उद्योग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने वाले बिजनौर में 12 अक्टूबर, 1908 को जन्‍मे प्रख्यात वैज्ञानिक डा. आत्माराम ने बीएचयू से ही अपने वैज्ञानिक जीवन की शुरूआत की थी। 1926 के बाद वह बनारस में ही रहे और यहीं पर अपने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उनका वैज्ञानिक जीवन भारत के लिए जैसे वरदान ही बन गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के आसपास की बात है,  जब भारत को हथियारों को तैयार करने के लिए कांच और सिरामिक उत्पादों की जरूरत थी। भारत के लोग हर बार की तरह उस समय भी जर्मनी से यह माल चोरी-छिपे आयात करते थे। यही नहीं आजादी के बाद हम अपने सैन्य, लैब में सूक्ष्मदर्शी और अन्य कार्यों के लिए भी जर्मनी पर ही निर्भर थे। इससे भारत की विदेशी मुद्रा काफी स्तर पर व्यय हो रही थी।

डा. आत्माराम वर्ष 1920 के बाद से ही सिरामिक रिसर्च पर काफी कार्य कर रहे थे। आजादी के बाद जब सरकार ने उन्हें मौका दिया तब जाकर वह वर्ष 1960 के आसपास आप्टिकल ग्लास की खोज में सफल हुए। इसके बाद से भारत में कांच उद्योग के क्षेत्र में उभरकर कई देशों से ऊपर आ गया। उनका निधन 6 फरवरी, 1983, दिल्ली में हुआ था। उनके साथ ही देश में कांच के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति के एक युग का अंत हो गया। 

बीएचयू ने दी डीएससी की उपाधि

डा. आत्माराम ने बीएचयू से ही अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी किया था। इसके बाद वह बीएससी करने के लिए कानपुर चले गए और एमएससी व पीएचडी उन्होंने वर्ष 1929 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की। बीएचयू  ने उनके कार्यों और अलुमुनाई संबंधों को देखते हुए वर्ष 1968 में आनरेरी डीएससी की उपाधि भी प्रदान की थी।

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