बीएचयू में मौत के चार दिन बाद भी नहीं मिला शव, नौ अगस्त की रात हुई थी मौत

बीएचयू अस्पताल में शव दूसरे को सौंपने का मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि बुधवार की रात एक और प्रकरण सामने आ गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 09:10 AM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 04:47 PM (IST)
बीएचयू में मौत के चार दिन बाद भी नहीं मिला शव, नौ अगस्त की रात हुई थी मौत
बीएचयू में मौत के चार दिन बाद भी नहीं मिला शव, नौ अगस्त की रात हुई थी मौत

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू अस्पताल में शव दूसरे को सौंपने का मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि बुधवार की रात एक और प्रकरण सामने आ गया।  इस बार एक व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी की मौत चार दिन पहले हुई थी, लेकिन उसका शव परिजनों को नहीं मिला। पीड़त शव पाने के लिए बीएचयू अस्पताल व लंका थाने चक्कर काट रहा है।

सीर गोवर्धनपुर निवासी संतोष कुमार की 26 वर्षीय पत्नी नीतू कुमार की तबीयत एक सप्ताह पहले खराब हुई थी। पहले निजी अस्पताल में इलाज कराया। तबीयत और खराब होने पर वहां के चिकित्सकों ने उसे बीएचयू रेफर कर दिया। संतोष का कहना है कि वह अपनी पत्नी को लेकर आठ अगस्त की रात में बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान नीतू की रात करीब डेढ़ बजे मौत हो गई। आशंका पर अस्पताल प्रशासन ने कोरोना की जांच कराई। इसकी जांच रिपोर्ट ही तीन दिन बाद मंगलवार को आई। संतोष का आरोप है कि वह कई दिनों से शव के लिए चक्कर काट रहा हूं। बीएचयू वाले यह कह कर वापस कर दे रहे हैं कि लंका थाने जाओ। इसके बाद वह लंका थाने में भी गया। वहां पुलिस ने यह कह कर लौटा दिया कि यह बीएचयू का मामला है। इसमें पुलिस क्या करेंगे। फिर संतोष बीएचयू आया। यहां पर कहां गया कि कोरोना से मौत हुई है ऐसे में जिलाधिकारी हस्ताक्षर करेंगे तो ही शव मिलेगा। संतोष ने आरोप लगाया कि बुधवार की रात डेढ़ बजे चार दिन होने के बाद भी उसकी सुनवाई नहीं हुई। उसने किसी अनहोनी की भी आशंका व्यक्त की है। इस संबंध में पूछे जाने पर बीएचयू के पीआरओ डा. राजेश सिंह ने कहा कि इस मामले में कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। हां, अगर शव नहीं दिया जा रहा है तो कोई तकनीकी पेच होगी। अब यह मामला संज्ञान में आया है तो इसकी छानबीन कराई जाएगी।

मौत के बाद घर में ही पड़ा रहा महिला का शव, महकमा बेखबर

लंका थाना क्षेत्र के नासिरपुर में बुधवार को 3 बजे 70 वर्षीय महिला की मौत हो गई। बेटा मुन्नालाल कोरोना पॉजिटिव है, जिसकी रिपोर्ट पांच अगस्त को आने के बाद घर के 14 लोगों की जांच हुई। मगर अभी तक किसी की रिपोर्ट नहीं आई। मौत के बाद परिजनों ने ग्राम प्रधानपति गोपाल यादव को सूचित किया। गोपाल ने कंट्रोल रूम से लेकर सीएमओ कार्यालय और स्थानीय पुलिस चौकी चितईपुर को भी सूचना दी लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।

पीडि़त मुन्नालाल ने बताया कि मां की मौत के एक माह पहले, घर में दो और मौतें हो चुकी हैं, जिनमें चाची और चचेरा भाई अशोक भी शामिल है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण सही समय से न तो जांच हुई और न ही रिपोर्ट आई, जिसका परिणाम महीने भर के भीतर घर में तीसरी मौत हुई है। मुन्नालाल ने बताया कि एक एंबुलेंस वाले ने फोन किया था, जिसने शव ले जाने के लिए पांच हजार रुपये की मांग की। मगर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण मना कर दिया गया। घर में कोरोना के कारण आसपास के लोग भी डर के मारे नहीं आ रहे। ऐसी स्थिति से गांव में दहशत का माहौल है।

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