वाराणसी में बेटियों ने भरी हुंकार बन्द हो यूपी में शराब की दुकान, मांगा बराबरी का अधिकार

दर्जनों गांव से आयी सैकड़ों लड़कियां और महिलाएं शराब बिक्री पर रोक लगाओ बाल विवाह पर रोक लगाओ तिलक दहेज छोडो जाती पाती तोड़ो भीख नही अधिकार चाहिए जीने का सम्मान चाहिए औरत भी जिन्दा इंसान नहीं भोग की वह सामान कन्या भ्रूण हत्या बंद करो के नारे लगाये।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 02:51 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 02:51 PM (IST)
वाराणसी में बेटियों ने भरी हुंकार बन्द हो यूपी में शराब की दुकान, मांगा बराबरी का अधिकार
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ रविवार को मिर्जामुराद क्षेत्र में रैली निकाली।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश में पूर्ण शराब बन्दी की मांग को लेकर तथा कन्या भ्रूण हत्या, यौन उत्पीड़न, दहेज़, बाल विवाह जैसे सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ रविवार को मिर्जामुराद क्षेत्र में रैली निकाली। रैली कोसड़ा जी टी रोड मिर्जामुराद होते हुए लालपुर चट्टी से राने गांव तक निकाली गयी। क्षेत्र के दर्जनों गांव से आयी सैकड़ों लड़कियां और महिलाएं शराब बिक्री पर रोक लगाओ, बाल विवाह पर रोक लगाओ, तिलक दहेज छोडो जाती पाती तोड़ो, भीख नही अधिकार चाहिए जीने का सम्मान चाहिए, औरत भी जिन्दा इंसान, नहीं भोग की वह सामान, कन्या भ्रूण हत्या बंद करो के नारे लगाये।

रैली के बाद लोक समिति वाराणसी और आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में लालपुर (राने) गांव में सम्मा माता मंदिर पर बालिका महोत्सव का आयोजन किया गया। बालिका महोत्सव में लड़कियों ने बालिका अधिकार पर सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम किया। नाटक के माध्यम से शराब की वजह से लड़कियों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को और बिगड़ रहे परिवार व समाज को दिखाया। लोगों से शराब को बंद करने की अपील भी किया।कार्यक्रम का शुभारम्भ जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र प्रसाद, महिला चेतना समिति की संयोजिका शर्मिला ने दीप जलाकर किया।

सभा में महिलाओं ने कहा कि सरकार गांव-गांव में शराब के ठेके खोलकर लोगों को शराब पिलाकर मरने के लिए मजबूर कर रही है। आज समाज के ज्यादातर लोग शराब में डूब चुके है और इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, दुष्‍कर्म, मारपीट आदि घटना का सबसे बड़ा जिम्मेदार शराब है। जनता के हित में इसे बंद किया जाए। स्वराज विद्यापीठ इलाहबाद से आये डॉ. स्वप्निल श्रीवास्तव ने कहा कि गांवो में किशोरी लड़कियों की दशा चिंतनीय है लड़कों और लड़कियों में अभी भी भेदभाव किया जाता है, पढ़ने में अच्छा होने के बावजूद बहुत से लड़कियों की पढाई छुड़ाकर कम उम्र में उनकी शादी करा दी जाती है, जिससे उसके सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

सामाजिक कार्यकर्ता शर्मिला ने कहा कि आज घर में ही लड़किया सुरक्षित नही हैं, बहुत बार घर में ही परिवार और उनके रिश्तेदारों द्वारा लड़कियां यौन शोषण का शिकार होती है, जिसके प्रति लड़कियों को जागरूक करने की जरुरत है। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत राजकुमारी और आशा रानी ने किया अध्यक्षता सोनी, संचालन आशा राय ने और धन्यवाद ज्ञापन अनीता ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप विमला,आशा रानी, अनीता, सोनी, बेबी, राजकुमारी, आशा, सरोज, रामबचन, पंचमुखी, सुनील, विनोद, शीतांशु भूषण, मन्जू, गोपाल सिंह, आनंद गुप्ता आदि ने विचार रखे। 

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