काले गेहूं की खेती से वाराणसी के किसानों के जीवन में होगा उजाला, 12 किसान रबी सीजन में करेंगे बोआई
छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश हरियाणा इटावा व चंदौली की तरह अब बनारस की खेतों में भी काले गेहूं की फसल लहलहाएगी। इससे आमदनी तो बढ़ेगी ही किसानों की जीवन में भी उजाला होगा। फिलहाल जनपद के 12 किसान इसी रबी सीजन में इसकी बोआई करेंगे।
वाराणसी, सचिन्द्र श्रीवास्तव। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा, इटावा व चंदौली की तरह अब बनारस की खेतों में भी काले गेहूं की फसल लहलहाएगी। इससे आमदनी तो बढ़ेगी ही, किसानों की जीवन में भी उजाला होगा। फिलहाल जनपद के 12 किसान इसी रबी सीजन में इसकी बोआई करेंगे। उप कृषि निदेशक अखिलेश सिंह ने बताया कि बोआई, सिंचाई आदि विभाग की देखरेख में होगी। कुल 20 हेक्टेयर भूमि पर जैविक विधि से इसका उत्पादन किया जाएगा।
भूरे (सामान्य) गेहूं की तुलना में काले गेहूं का आटा ज्यादा दामों पर बिकता है। वर्तमान में इसकी कीमत बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो है। पिछले वर्ष इटावा जिले में 50 हेक्टेयर भूमि पर काले गेहूं का प्रदर्शन किया गया था जिसमें 1500 क्विंटल का उत्पादन हुआ।
क्या हैं फायदे
काले गेहूं में फाइवर, प्रोटीन, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व हैं। इसका सेवन हर मौसम में किया जाता है। इसमें ट्राइग्लिसराइड तत्व पाए जाने के चलते हृदयाघात जैसी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा मैग्नीशियम अधिक मात्रा में होने के चलते शरीर में कोलेस्ट्राल का स्तर सामान्य बनाने के साथ रक्तचाप को भी नियंत्रित करने में मदद करता है।
उत्पादन क्षमता व लागत
उप कृषि निदेशक के मुताबिक सामान्य गेहूं के बराबर ही इसकी लागत व उत्पादन क्षमता है। इस गेहूं में पाए जाने वाले पोषक तत्व इसे खास बनाते हैं। चूंकि इस गेहूं के आटे की कीमत ज्यादा है, ऐसे में किसानों को सीधा लाभ होगा। इस आटे का इस्तेमाल नूडल्स बनाने में भी किया जाता है।
रबी सीजन में 12 किसानों को काले गेहूं की बीज देकर बोआई कराई जाएगी
रबी सीजन में 12 किसानों को काले गेहूं की बीज देकर बोआई कराई जाएगी। मांग व बाजार अच्छी रही तो इसका वृहद स्तर पर जनपद के विभिन्न गांवों में उत्पादन कराया जाएगा।
-अखिलेश सिंह
-उप कृषि निदेशक, वाराणसी
चोलापुर के फौजदार दो वर्ष से उगा रहे काला गेहूं
के किसान फौजदार यादव जैविक विधि से काले गेहूुं का उत्पादन दो वर्ष से कर रहे हैं। पहली बार चंदौली से एक किलोग्राम बीज लाकर दो बिस्वा खेत में बोआई की और एक क्विंटल उत्पादन हुआ। दूसरी बार पांच बिस्वा में बोआई की तो दो क्विंटल 17 किलोग्राम गेहूं का उत्पादन हुआ। इस बार 12 बिस्वा खेत में बीज बोने की तैयारी कर रहे हैं। फैजदार के मुताबिक वे खाद के रूप में ढैंचा, गोबर आदि का इस्तेमाल करता हैं। वहीं रोगों से बचाव के लिए नीम, मदार, रेड़ के अर्क का छिड़काव करते हैं।