बलिया जिले में गंगा नदी में दो महीने में बहकर आए थे 25 शव, माल्देपुर घाट पर अंतिम संस्कार

कोरोना के दौर में गंगा में शवों के मिलने की खबरें सामने आ रही हैं। जनपद में भी ऐसे कई मामले सामने हैं। शहर से सटे माल्देपुर घाट पर डीजल व टायर के सहारे लावारिश शव के दाह संस्कार की खबर सामने आने के बाद मौके पर पड़ताल की गई।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 06:00 AM (IST)
बलिया जिले में गंगा नदी में दो महीने में बहकर आए थे 25 शव, माल्देपुर घाट पर अंतिम संस्कार
कोरोना संक्रमण के दौर में गंगा में शवों के मिलने की खबरें सामने आ रही हैं।

बलिया,जेएनएन। कोरोना संक्रमण के दौर में गंगा में शवों के मिलने की खबरें सामने आ रही हैं। जनपद में भी ऐसे कई मामले सामने हैं। शहर से सटे माल्देपुर घाट पर डीजल व टायर के सहारे लावारिश शव के दाह संस्कार की खबर सामने आने के बाद मौके पर पड़ताल की गई। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। डोमराज दो माह में लगभग 25 लावारिश शवों को दाह संस्कार कर चुके हैं। यह लाशें गंगा में बहकर पीपा पुल पर आकर फंस गई थी।

माल्देपुर में गंगा किनारे अपनी झोपड़ी में बैठे डोमराज ने बताया कि महामारी के कारण शव अधिक आ रहे हैं। वे कोट घाट से विजयीपुर तक लगभग दस किलोमीटर की परिधि में शवों का दाह संस्कार करवाते हैं। गंगा में लावारिश शव मिलने पर वह चौकीदार को सूचना देते हैं। चौकीदार पुलिस व प्रशासन तक जानकारी पहुंचाते हैं। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस शव को बाहर निकलवाकर अंतिम संस्कार कराती है।

सागरपाली या शहर से लानी पड़ती है लकड़ी

माल्देपुर घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए तीन किलोमीटर दूर शहर या सागरपाली से लकड़ी खरीदकर लानी पड़ती है। घाट पर लकड़ी की कोई व्यवस्था नहीं रहती है। ऐसे में लावारिश शवों के दाह संस्कार में अड़चन आती है। इसके लिये प्रशासन को सक्रियता दिखानी चाहिये।

नगर पालिका ने किसी शव का नहीं कराया अंतिम संस्कार

शासनादेश जारी हुआ है कि नगरीय निकाय सीमा में अगर किसी कोरोना संक्रमित की मौत होती है तो उसके स्वजनों को अंतिम संस्कार कराने का खर्च नगर पालिका देगा। पांच हजार रुपये का बजट स्वीकृत है। एक पखवारे के भीतर पालिका ने इस मद में कोई बजट नहीं खर्च किया है।

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