वाराणसी में छावनी क्षेत्र में बनेगा कोविड अस्पताल, मांग को छावनी हॉस्पिटल ने स्‍वीकार किया

बनारस के छावनी परिषद को ही देख लें। देश के रक्षा मंत्रालय की संपदा से जुड़े कैम्पस में बार बार के सुझाव दिए जाने के बाद भी कोविड - 19 से लड़ने के लिए एक अदद हॉस्पिटल की मांग अनसुनी कर दी गयी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 01:49 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 01:49 PM (IST)
वाराणसी में छावनी क्षेत्र में बनेगा कोविड अस्पताल, मांग को छावनी हॉस्पिटल ने स्‍वीकार किया
कोविड - 19 से लड़ने के लिए एक अदद हॉस्पिटल की मांग अनसुनी कर दी गयी।

वाराणसी, जेएनएन। कोविड 19 की दूसरी लहर को देखते हुए पिछले दिनों वाराणसी में चिकित्सा व्यवस्था लगभग ध्वस्त सी हो चुकी है। मरीज, हॉस्पिटल की ड्योढ़ी पर दम तोड़ रहे हैं। अगर समय रहते सरकार द्वारा समुचित चिकित्सकीय व्यवस्था को बहाल किया गया होता तो बनारस में इतनी मौतें न हुई होतीं ।

रक्षा मंत्रालय के अधीन बनारस के छावनी परिषद को ही देख लें। देश के रक्षा मंत्रालय की संपदा से जुड़े कैम्पस में बार बार के सुझाव दिए जाने के बाद भी कोविड - 19 से लड़ने के लिए एक अदद हॉस्पिटल की मांग अनसुनी कर दी गयी। छावनी परिषद में एक बड़ी आबादी रहती है।  छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष व सदस्य शैलेंद्र सिंह  ने एक जिम्मेदार नागरिक और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की हैसियत से छावनी परिषद और रक्षा मंत्रालय को कोरोना महामारी को लेकर सतर्क किया। उन्होंने छावनी प्रशासन से छावनी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्वाइंट तथा कोरोना मरीजों के लिए कुछ बेड सुरक्षित करने की मांग की थी, जिसे विलम्ब में हो सही स्वीकार कर लिया गया है। अब छावनी परिषद के हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों के लिए कुल छह ऑक्सीजन प्वाइंट और बेड सुरक्षित किया गया है। यह उन मरीजों के लिए है जिनको जीवन सुरक्षा की सबसे अधिक और तत्काल जरूरत होगी। शेष मरीजों के लिए अन्य दूसरे हॉस्पिटल होंगे।

छावनी प्रसाशन द्वारा देर से ही सही पर लोगों की जीवन सुरक्षा को लेकर लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय का  शैलेंद्र सिंह ने स्वागत करते हुए कहा कि - छावनी प्रशासन द्वारा मेरे सुझाये गए उपायों को देर में ही सही पर अमल में लाने के लिए मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं। छावनी प्रसाशन से उम्मीद करता हूँ कि वह जल्द से जल्द कोरोना महामारी को देखते हुए अन्य दूसरे चिकित्सकीय संसाधनों को भी मुहैया कराने पर बल देगा। इससे  छावनी परिषद में रह रहे मेरे बड़े बुजुर्गों, भाइयों - बहनों की जीवन सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। कहा कि छावनी परिषद के देर से लिये गए इस निर्णय को मैं आलोचनात्मक तरीके से नहीं बल्कि सकारात्मक तरीके से देखता हूं, क्योंकि अंधेर से देर भली होती है ।

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