इंस्पेक्टर व दारोगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का कोर्ट का आदेश, कार्रवाई के लिए डीजीपी व प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

बिना किसी आदेश के मानसिक रूप से अस्वस्थ युवती को नारी संरक्षण गृह में भेजने और उसे भगा ले जाने के आरोपित को छोड़ने के मामले में दोषी करार वाराणसी चौक इंस्पेक्टर और वहां तैनात सब इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर अदालत ने सख्‍त आदेश दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 07:50 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 07:50 AM (IST)
इंस्पेक्टर व दारोगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का कोर्ट का आदेश, कार्रवाई के लिए डीजीपी व प्रमुख सचिव को लिखा पत्र
इंस्पेक्टर व दारोगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का कोर्ट का आदेश दिया है।

वाराणसी, जेएनएन। बिना किसी आदेश के मानसिक रूप से अस्वस्थ युवती को नारी संरक्षण गृह में भेजने और उसे भगा ले जाने के आरोपित को छोड़ देने के मामले में दोषी करार चौक इंस्पेक्टर और वहां तैनात सब इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार यादव के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर अदालत ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। एसएसपी द्वारा प्रकरण में अब तक कार्रवाई नहीं किए जाने पर विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने असंतोष जताते हुए दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

अदालत ने आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव गृह व पुलिस महानिरीक्षक को पत्र भेजा है। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि यदि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ समुचित धाराओं में मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है तो अदालत अपनी प्रदत शक्तियों का प्रयोग करके मुकदमा कायम करने के लिए बाध्य होगी।

प्रकरण के मुताबिक लोनावाला (महाराष्ट्र) निवासी शाहिद मलिक चौक थाना क्षेत्र की रहने वाली दूसरे धर्म की एक युवती को बहला-फुसलाकर नौ जनवरी 2021 को भगा ले गया था। युवती के स्वजन की शिकायत पर चौक थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। विवेचना के दौरान 28 जनवरी को युवती और आरोपित को पकड़ा गया। इस दौरान पुलिस ने बिना किसी प्रशासनिक अथवा न्यायालय के आदेश के युवती को नारी संरक्षण गृह में भेज दिया और आरोपित को जेल भेजने के बजाय थाने से ही छोड़ दिया। पुलिस की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए युवती के स्वजन की ओर से अदालत में प्रार्थना-पत्र दिया गया। आवेदन में कहा गया है कि बीमार बेटी को स्वजन की अभिरक्षा में देने के बजाय बिना किसी आदेश के नारी संरक्षण गृह में भेज दिया गया। युवती की मेडिकल जांच तक नहीं कराई गई। साथ ही आरोपित के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि उसे थाने से ही छोड़ दिया गया। अदालत में विवेचक द्वारा भ्रामक आख्या दी गई। युवती की बरामदगी और आरोपित को लोनावाला से पकड़े जाने को भी लेकर अदालत में गलत जानकारी दी गई। अदालत ने दो अलग-अलग समुदायों से मामला जुड़े होने और विवेचना में बरती गई लापरवाही पर इसकी विशेष जांच कराकर कार्रवाई करने का एसएसपी को आदेश दिया। पुलिस उपाधीक्षक सुरक्षा ने जांच कर अदालत में रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी। जांच में चौक इंस्पेक्टर आशुतोष तिवारी और विवेचक सब इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार यादव को दोषी पाया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के मामलों में सरकार द्वारा धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश पारित किया गया है, लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा सरकार की मंशा को निष्फल करने का प्रयास किया गया है।

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