Court Decision : जौनपुर के एसडीएम, तहसीलदार और लेखपाल को एक माह सिविल कारावास की सजा

जौनपुर के केराकत तहसील में 2007 के निषेधाज्ञा आदेश उल्लंघन मामले में सिविल जज जूनियर डिविजन मनोज कुमार यादव ने तत्कालीन एसडीएम सहदेव प्रसाद मिश्र तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविंद पटेल को अवमानना का दोषी पाते हुए एक माह सिविल कारावास से दंडित करने का आदेश दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 06:10 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 06:10 PM (IST)
Court Decision : जौनपुर के एसडीएम, तहसीलदार और लेखपाल को एक माह सिविल कारावास की सजा
अवमानना का दोषी पाते हुए एक माह सिविल कारावास से दंडित करने का आदेश दिया है।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। केराकत तहसील में 2007 के निषेधाज्ञा आदेश उल्लंघन मामले में सिविल जज जूनियर डिविजन मनोज कुमार यादव ने तत्कालीन एसडीएम सहदेव प्रसाद मिश्र, तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविंद पटेल को अवमानना का दोषी पाते हुए एक माह सिविल कारावास से दंडित करने का आदेश दिया है। कारावास का खर्च विपक्षीगण स्वयं वहन करेंगे। वर्तमान एसडीएम केराकत, तहसीलदार व हल्का लेखपाल को आदेश दिया गया कि एक माह के अंदर प्रश्नगत आराजी पर पाटी गई मिट्टी व ईंट को हटाकर 10 अप्रैल 2007 से पूर्व की स्थिति बहाल करें।

कहा कि आदेश का अनुपालन कराए जाने का न्यायालय का संवैधानिक दायित्व है। यदि स्थगन आदेश का उल्लंघन किया जाता है तो न्यायालय सीपीसी के आदेश 39 नियम 2 ए के तहत दोषी व्यक्ति को सिविल कारावास में निरुद्ध करने या उसकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश कर सकती है।

जीतनारायन निवासी चकतरी तहसील केराकत जरिए मुख्तार खास विजय कुमार शुक्ला की ओर से वाद प्रस्तुत किया कि न्यायालय द्वारा मूल वाद जीतनारायन बनाम स्टेट में पारित निषेधाज्ञा आदेश का विपक्षीगण एसडीएम सहदेव प्रसाद मिश्र, तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविंद पटेल ने उल्लंघन किया है। याचिका में हाई कोर्ट द्वारा 26 जुलाई 2021 को मामले को दो माह में निस्तारण का निर्देश दिया गया था। आवेदक के अधिवक्ता बीएन शुक्ला ने तर्क दिया कि आवेदक आराजी का भूमिधर व मालिक काबिज हैं। न्यायालय से स्थगन आदेश भी चकमार्ग के बारे जारी हुआ। न्यायालय ने 10 अप्रैल 2007 को विपक्षीगण पर नोटिस व सम्मन का तामीला पर्याप्त मांगते हुए स्थाई निषेधाज्ञा इस प्रकार जारी किया गया कि विपक्षी गण संबंधित आराजी में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करें। न कोई रास्ता बनाएं न ही वादीगण के खेती करने में अवरोध उत्पन्न करें। इस आदेश की जानकारी विपक्षीगण को बखूबी थी। लेखपाल को जब आदेश की फोटो कापी दिखाई गई तो उसने आदेश फेंक दिया कहा कि कोर्ट का आदेश मेरे सामने कुछ नहीं है। लेखपाल ने जबरन चकमार्ग पर ईंट गड़वा दिया और मिट्टी डालकर पटवा दिया जिससे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हुआ। कोर्ट ने पाया कि तीनों विपक्षीगण ने आदेश का जान बूझकर उल्लंघन किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सजा सुनाई।

chat bot
आपका साथी