वाराणसी में बंदरों का आतंक खत्म करने में निगम प्रशासन नाकाम, संख्या में हो रहा और भी इजाफा
वाराणसी में बंदरों के आतंक से लोग तरह से परेशान हैं। नगरीय क्षेत्रों में झुंड में घूमते हुए बंदर राह चलती महिलाओं वृद्धों तथा बच्चों को काटकर घायल कर देते हैं। इनके आतंक से गली-मोहल्लों और सड़कों पर निकलना मुश्किल हो गया है।
वाराणसी, जेएनएन। बंदरों के आतंक से लोग तरह से परेशान हैं। नगरीय क्षेत्रों में झुंड में घूमते हुए बंदर राह चलती महिलाओं, वृद्धों तथा बच्चों को काटकर घायल कर देते हैं। इनके आतंक से गली-मोहल्लों और सड़कों पर निकलना मुश्किल हो गया है। शहरवासी आए दिन नगर निगम प्रशासन से बंदरों को पकडऩे के लिए मांग करते रहते हैं, लेकिन कोरोना के चलते पिछले नौ महीने से बंदर को पकड़ने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। उनकी संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।
पशु चिकित्सालय के इंचार्ज डा. अजय प्रताप सिंह के अनुसार शहर में बंदरों को पकडऩे के लिए मथुरा से एक्सपर्ट बुलाए जाएंगे। एक बंदर को पकड़कर शहर के बाहर जंगल या पहाड़ पर लेकर जाकर छोडऩे पर नगर निगम 500 रुपये देती है। बताया कि बेसहारा कुत्तों की जीओ टैगिंग होगी। पिछले नौ महीने से शहर में कुत्ते और बंदर को पकडऩे के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है, जिससे लगातार इनकी संख्या लगातार बढ़ रही और लोगों की मुसीबतें भी। एक अनुमान के अनुसार शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 40 हजार से अधिक है, जबकि बंदर 15 हजार के करीब हैं। बहुत जल्द ही बेसहारा कुत्तों जीओ टैगिंग शुरू होगी, जिससे इनकी संख्या का पता चलेगा। साथ ही कुत्ते के बारे में पूरा ब्योरा नगर निगम प्रशासन के पास रहेगा।
रजिस्ट्रेशन न होने पर कार्रवाई
अब कुत्ता पालने वाले सतर्क हो जाएं, कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह रजिस्ट्रेशन 200 रुपये में होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद पालतू कुत्तों को जीओ टैगिंग द्वारा बारकोड युक्त पहचान पत्र जारी किए जाएंगे जिसे कुत्तों को पहनाना अनिवार्य होगा। इसमें टीकाकरण के साथ ही उसकी नस्ल का भी जिक्र रहेगा। अगर घर में बिना रजिस्ट्रेशन वाला पालतू कुत्ता पाया गया तो जुर्माना भी लगाया जाएगा। दरअसल, पालतू कुत्तों को लेकर काफी शिकायतें आ रही हैं। 160 पालतू कुत्तों का अब तक रजिस्ट्रेशन हुआ है जबकि पांच हजार पालतू कुत्ते हैं।
बोले अधिकारी
कोरोना के चलते कुत्ते और बंदर को पकडऩे के लिए अभियान नहीं चल रहा है, जिसे बहुत जल्द ही शुरू करने की कवायद चल रही है. कुत्ते का नसबंदी करने के लिए दो एजेंसी से करार हुआ है। बंदरों को पकडऩे के लिए मथुरा से लोगों को बुलाने को लेकर बातचीत चल रही है। -डा. अजय प्रताप सिंह, इंचार्ज पशु कल्याण विभाग नगर निगम