Coronavirus Varanasi City News Update : 3240 की जांच में 95 कोरोना पाजिटिव, दो की मौत

बीएचयू व मंडलीय अस्पताल लैब से शनिवार को प्राप्त 3240 जांच रिपोर्ट में कुल 95 कोरोना पाजिटिव मिले हैं। होम आइसोलेशन के 164 व अस्पताल में छह मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें स्वस्थ घोषित किया गया। कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या बढ़ कर अब 16333 हो गई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 11:32 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 03:32 PM (IST)
Coronavirus Varanasi City News Update : 3240 की जांच में 95 कोरोना पाजिटिव, दो की मौत
कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या बढ़ कर अब 16333 हो गई है।

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू व मंडलीय अस्पताल लैब से शनिवार को प्राप्त 3240 जांच रिपोर्ट में कुल 95 कोरोना पाजिटिव मिले हैं। होम आइसोलेशन के 164 व अस्पताल में भर्ती छह मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें स्वस्थ घोषित कर दिया गया। कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या बढ़ कर अब 16333 हो गई है। इनमें से 15343 मरीज ठीक होकर अपने घर-परिवार में जा चुके हैं। वहीं वर्तमान में सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या घटकर 729 हो गई है। बीएचयू अस्पताल में अर्दली बाजार निवासिनी 47 वर्षीय महिला व एपेक्स हास्पिटल में कैंट निवासी 70 वर्षीय पुरुष की इलाज के दौरान मौत हो गई। जिले में कोरोना से अब तक कुल 261 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है।

मधुमेह पीडि़त कोरोना संक्रमित को नाश्ते में दिया जा रहा केला व खीर

केस-1 : गाजीपुर निवासी रेलवे कर्मचारी के किडनी के पास गांठ थी। आपरेशन कराना था। कोरोना जांच कराई तो रिपोर्ट पाजिटिव आई। मधुमेह के पुराने मरीज हैं। लिहाजा उनकी स्थिति को गंभीर मानते हुए बीएचयू लेवल-थ्री हास्पिटल में भर्ती कराया गया। शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में चौथी मंजिल पर बेड नंबर-11 पर फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि शुगर का मरीज होने के बावजूद उन्हें सुबह नाश्ते में केला व मीठी खीर दी जा रही है। टोकने पर स्वास्थ्य कर्मी सीधे बोलते हैं कि खाना है तो खाओं, नहीं तो फेंक दो। हमसे कोई मतलब नहीं। दो केला खाने के बाद दोपहर व रात के भोजन में केवल दो रोटी, थोड़ी सी सब्जी व दाल-चावल दिया जा रहा है।

केस-2 : सामनेघाट निवासी 65 वर्षीय वृद्धा की रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए 15 सितंबर को बीएचयू लेवल-थ्री अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी आंखों की रोशनी पहले ही जा चुकी थी और वे पुरानी श्वांस रोगी भी थीं। स्वास्थ्य कर्मी उनके बेड के बगल में नाश्ता व खाना रखकर चले जाते। दिखाई नहीं देने के कारण शुरुआत में उन्हें दिन-दिन भर भूखा रहना पड़ा। उनकी हालत बिगड़ती गई और तकरीबन दस दिन के भीतर उनकी मौत हो गई।

केस-3 : जौनपुर निवासी 48 वर्षीय गंभीर कोरोना मरीज को 11 अगस्त को बीएचयू लेवल-थ्री अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चौथी मंजिल बेड नंबर 71 पर उनका इलाज चल रहा था। हालत इतनी खराब थी कि उनके लिए दो कदम चलना मुश्किल था। कोविड वार्ड में तीमारदार को जाने की अनुमति नहीं थी और बाथरूम उनके बेड से तकरीबन 50 फीट दूर था। न तो वहां व्हीलचेयर था न पाट की व्यवस्था और न ही मदद के लिए स्वास्थ्य कर्मी। मरीज लडख़ड़ाते, गिरते-पड़ते बाथरूम जाने को मजबूर थे। उनके भतीजे ने सीएम हेल्पलाइन से लेकर सीएमओ व डीएम से इसकी शिकायत भी की।

वाराणसी जिले में कोरोना के मामले तेजी से कम हो रहे हैं। बनारस ही नहीं आस-पास के जिलों के गंभीर मरीजों का कोविड लेवल-थ्री हास्पिटल बीएचयू में इलाज चल रहा है। तीमारदारों को सही जानकारी न देने से लेकर मरीजों की देखभाल में कोताही के आरोप पहले भी अस्पताल पर लगते रहे हैं। वहीं अब नया मामला गाजीपुर निवासी रेलवे कर्मचारी का है, जिन्होंने ठीक तरह से भोजन न मिलने की बात कही है।

कोरोना के साथ मधुमेह से ग्रसित मरीज को सुबह नाश्ते में मीठी खीर के साथ केला दिया जा रहा है, तो वहीं दोपहर व रात के भोजन में महज दो रोटी व सब्जी या दाल ही परोसी जा रही है। आपत्ति जताने पर स्वास्थ्य कर्मी दो टूक में कह कर निकल जाते हैं कि खाना है तो खाओ नहीं तो फेंक दो, हमसे मतलब नहीं। मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि किसी मरीज के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। सभी के लिए एक साथ भोजन बनाया जाता है और परोसा जाता है।

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ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। कोरोना के साथ अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को अलग-अलग तरह के खान-पान की जरूरत होती है। मामला गंभीर है। बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से बात कर समस्या का निस्तारण किया जाएगा। - डा. वीबी सिंह, सीएमओ।

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अस्पताल में सभी मरीजों के लिए एक साथ भोजन बनाया जाता है और परोसा भी जाता है। किसी के लिए अलग से कोई व्यवस्था किया गया है। जरूरत के मुताबिक स्वास्थ्यकर्मी मरीजों की देखभाल करते रहते हैं।

- प्रो. एसके माथुर, एमएस-बीएचयू अस्पताल।

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