Corona Warrior : जिस वक्त रखना चाहिए अपना ख्याल, वाराणसी की डॉ. दीप्ति पेश कर रहीं हैं मानवता की मिसाल
कोरोना महामारी में जहां एक ओर निजी अस्पताल आपदा को अवसर में बदल रहे हैं। वहीं छावनी अस्पताल में तैनात आरएमओ डॉ. दीप्ति दीक्षित अपनी परवाह किए बगैर अपना फर्ज निभाते हुए वह मरीजों की सेवा कर रहीं हैं।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी में जहां एक ओर निजी अस्पताल आपदा को अवसर में बदल रहे हैं। वहीं छावनी अस्पताल में तैनात आरएमओ डॉ. दीप्ति दीक्षित अपनी परवाह किए बगैर अपना फर्ज निभाते हुए वह मरीजों की सेवा कर रहीं हैं। अपना फर्ज निभाने में उन्होंने अपने छह माह के गर्भधारण काल को भी आड़े नहीं आने दिया है। इस सेवा भाव में परिवार की ओर से भी उनको भरपूर सहयोग मिल रहा है। वह कोरोना के सभी सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए मरीजों की सेवा करने में पूरे जी जान से जुटी हैं। पहली बार गर्भवती होने से उन्हें थोड़ा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी महामारी को देखते हुए वह अपनी जिम्मेदारी को पहली प्राथमिकता दे रहीं है।
ओपीडी में प्रतिदिन आते हैं करीब 50 मरीज
डॉ. दीप्ति दीक्षित बताती हैं कि छावनी अस्पताल में अकेले वह स्थायी डॉक्टर हैं। शेष लगभग 10 डॉक्टर संविदा पर हैं। उनकी ड्यूटी केवल दो घण्टे की रहती है। जबकि अस्पताल का समय सुबह आठ से शाम चार बजे तक का है। महामारी के दौरान भी लगभग 50 मरीज प्रतिदिन यहां ओपीडी में आते हैं। ऐसे में मरीजों को संविदा डॉक्टरों के भरोसे छोड़ना उचित नहीं है। इस कारण मुझे प्रतिदिन अस्पताल आना पड़ता है।
परिवार से मिलता है भरपूर सहयोग
डॉ. दीप्ति दीक्षित बताती हैं कि वह छावनी अस्पताल में वर्ष 2016 से तैनात है। परिवार के सभी सदस्य चिकित्सक हैं। महामारी के दौरान एक चिकित्सक का चिकित्सकीय धर्म होता है मरीजों की सेवा करना। मेरी सासू मां डॉ. उषा शर्मा और पति डॉ. प्रियंकर शर्मा भी मेरे इस मुहिम में मेरा भरपूर सहयोग कर रहे हैं। मां कहती हैं कि जिस कठिन काल बेटा महिलाओं को पूर्ण आराम की आवश्यकता होती है। उस काल में आप मरीजों की सेवा कर रही हो यह बहुत बड़ा धर्म है।
जल्द ही हो जाएगा कोविड अस्पताल
डॉ. दीप्ति दीक्षित ने बताया कि छावनी अस्पताल अभी तो नॉन कोविड अस्पताल है। लेकिन जल्द ही यह कोविड अस्पताल बन जाएगा। इसकी प्रक्रिया तेजी से चल रही है।