पूर्वांचल में कोरोना वायरस संक्रमण ने मूर्ति कलाकारोंं की आजीविका पर लगाया ग्रहण

महामारी में कलाकारी कम हो गई है और बेरोजगारी बढ़ने लगी है। इस बार भी दुर्गापूजा पर कोरोना का साया मंडरा रहा है। यही वजह है कि दुर्गा प्रतिमाओं का आर्डर कम हो गया। कारण यह है कि पूजा होगी या नहीं इसे लेकर लोग उहापोह में हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 03:03 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 03:03 PM (IST)
पूर्वांचल में कोरोना वायरस संक्रमण ने मूर्ति कलाकारोंं की आजीविका पर लगाया ग्रहण
महामारी में कलाकारी कम हो गई है और बेरोजगारी बढ़ने लगी है।

गाजीपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना का असर हर व्यवसाय पर पड़ा है। कामकाज न मिलने के कारण लोगों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न होने लगा है। महामारी में कलाकारी कम हो गई है और बेरोजगारी बढ़ने लगी है। इस बार भी दुर्गापूजा पर कोरोना का साया मंडरा रहा है। यही वजह है कि दुर्गा प्रतिमाओं का आर्डर कम हो गया। कारण यह है कि पूजा होगी या नहीं, इसे लेकर लोग उहापोह में हैं।

नगर में दुर्गा पूजा को लेकर अभी कहीं भी पंडाल का निर्माण शुरू नहीं हुआ है, जबकि दो महीने पहले ही पूजा की तैयारी होने लगती थी। शारदीय नवरात्र पर नगर में सप्तमी, अष्टमी व नवमी को मां दुर्गा के पूजा की धूम रहती थी। विभिन्न स्थानों पर बड़े-बड़े पंडाल बनाकर उनमें मां दुर्गा सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित की जाती थी। तीन दिवसीय मेले में लोगों की भारी भीड़ दर्शन-पूजन को उमड़ती थी। इसके अलावा पंडालों के आसपास मेला भी लगता था। कई स्थानों पर झूले आदि भी लगाए जाते थे। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण दुर्गापूजा की रंगत फीकी हो गई है। पिछली बार सादगीपूर्ण ढंग से पूजनोत्सव मनाया गया, लेकिन इस बार अब तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। इससे पूजा कमेटियां भी निर्णय नहीं ले पा रही हैं।

दिहाड़ी मजदूरी करने को विवश : बघरी गांव निवासी मूर्तिकार निराला ने बताया कि कोरोना काल में पूरा धंधा चौपट हो गया है। इक्का-दुक्का छोटी मूर्तियां बनाने का आर्डर ही मिल रहा है। शिल्पकार मजदूर अब दिहाड़ी मजदूरी करने को विवश हैं। दुर्गापूजा को लेकर लोग उहापोह में है। यही कारण है कि पूजा समितियां प्रतिमाओं का आर्डर देने में हिचकिचा रही हैं। वर्ष 2019 में 30 मूर्ति बनाया था और 2020 में दो फिट की केवल चार मूर्ति बनाने का आर्डर मिला था, लेकिन इस बार एक भी नहीं है। 35 वर्षो से पूरा परिवार इसी कार्य में लगा हुआ है।

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