सर्टिफिकेट नहीं संस्कार की जरूरत, देश को नॉलेज पावर के रुप में स्थापित करना नई शिक्षा नीति का उद्देश्य : आनंदीबेन

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 41 वें दीक्षा समारोह का शुभारंभ राष्ट्रगान और दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरु हुआ।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 11:46 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 02:23 PM (IST)
सर्टिफिकेट नहीं संस्कार की जरूरत, देश को नॉलेज पावर के रुप में स्थापित करना नई शिक्षा नीति का उद्देश्य : आनंदीबेन
सर्टिफिकेट नहीं संस्कार की जरूरत, देश को नॉलेज पावर के रुप में स्थापित करना नई शिक्षा नीति का उद्देश्य : आनंदीबेन

वाराणसी, जेएनएन। राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश को नॉलेज सुपर बनाना ही नई शिक्षा नीति का उद्देश्य है। ऐसे में सिर्फ सर्टिफिकेट बांटना ही विश्वविद्यालयों का लक्ष्य नहीं होना चाहिए। ऐसे में विद्यार्थियों को संस्कार देने की भी जरूरत है। इसके लिए प्राथमिक शिक्षा की बुनियाद को मजबूत करना होगा। साथ ही विश्वविद्यालयों को प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों से समन्वय स्थापित करना होगा ।

वह मंगलवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 41 वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहीं थी। उन्होंने कहा कि संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी अधूरी है। ऐसे में हमें पढ़ाई के साथ साथ संस्कारों पर भी ध्यान देना होगाI शिक्षा का उपदेश मानव निर्माण और व्यक्ति निर्माण भी होता है। उन्होंने कहा कि प्रेरणादायी शोध करने की जरूरत है। जिससे समाज और राष्ट्र का निर्माण हो सके। डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि अब आपके सामने अनेक चुनौतियां हैं। ऐसे में आपको आत्मविश्वास व मूल चेतना बनाए रखने की जरूरत है। आत्मविश्वास के बदौलत ही हम कामयाबी हासिल कर सकते हैं। कभी भी जीवन में हिम्मत नहीं हारना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल चेंज युवा ही सकते हैं। युवाओं का दायित्व है कि वह अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन करेंI

मुख्य अतिथि नैक (बेंगलुरू) के निदेशक प्रो. एससी शर्मा ने कहा कि 'राष्ट्र की पहचान के लिए शिक्षा आवश्यक है, बिना राष्ट्रीय पहचान के स्वतंत्रता अर्थहीन है। इसलिए राष्ट्रीय पहचान का त्याग या उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि महात्मा गांधी का शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान है। यह विश्वविद्यालय राष्ट्रवादी भावनाओं को जन्म देती है तथा राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में योगदान देती है। महात्मा गांधी की शिक्षा प्रणाली की अवधारणा स्वयं में प्रेरणादायक है । 

कहा कि गीता सार्वभौमिक मां है जो कोई उनका दरवाजा खटखटाता है उनका द्वार उसके लिए खुला है। गीता से सच्चा प्रेम करने वाला जानता ही नहीं निराशा क्या होती है। वह सदैव शाश्वत आनन्द एवं शान्ति में रहता है किन्तु वह शान्ति एवं आनन्द संशयी व्यक्तियों को नहीं प्राप्त होती या जो अपने बुद्धि या ज्ञान पर अहंकार करता है उसे भी इनकी प्राप्ति नहीं होती। यह केवल उन्हीं को प्राप्त होता है जो विनम्रता पूर्ण विश्वास तथा बिना विचलित हुए एकाग्र मन से उसकी आराधना करते हैं। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो उनका आदर मन से किया हो और उसे निराश होना पड़ा हो। मैं भगवद गीता से सान्त्वना प्राप्त करता हूं। जब निराशा का भाव मेरे अन्दर आता है तथा कोई भी प्रकाश की किरण दिखाई नहीं पड़ती, मैं भगवद् गीता के शरण में जाता हूं। मेरा जीवन वाह्य समस्याओं से भरा है फिर भी वे दिखाई देने वाली या गहरी घाव नहीं छोड़ पाते।

इस दौरान कुलाधिपति ने 54 मेधावियों को 55 गोल्ड मेडल प्रदान किए। इसके अलावा 125 को पीएचडी व 102350  को यूजी व पीजी की उपाधि प्रदान की गई। 'स्मारिका का भी विमोचन हुआ। समारोह में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजाराम शुक्ल  सहित, अन्य लोग उपस्थित थे। संचालन डा. बंशीधर पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डा. एस. एल. मौर्य ने किया।

इससे पूर्व कुलसचिव डा. एसएल मौर्य के नेतृत्व में शिष्ट यात्रा ने सुबह 11.25 बजे दीक्षा प्रांगण में प्रवेश किया।शिष्ट यात्रा में विश्वविद्यालय सभा, विद्यापरिषद, कार्यपरिषद के सदस्यों के अलावा विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष और सबसे पीछे कुलपति चल रहे थे। 

एक नजर में गोल्ड मेडलिस्ट

55 कुल गोल्ड मेडल (जिसमें 18 छात्र व 37 छात्राएं)

53 शैक्षिक 

02 उत्कृष्ट खिलाड़ी (निधिराज गुप्ता व सूरज यादव)

89524 को यूजी व 12,701 को पीजी की उपाधि

125 को मिली पीएचडी की उपाधि

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