वाराणसी नगर निगम और एनटीपीसी में हुआ अनुबंध, लगेगा कचरा से कोयला बनाने का प्लांट

कचरा प्रबंधन की दिशा में बड़ी पहल हुई है। कूड़े से कोयला बनाने का करार शुक्रवार को नगर निगम और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड बीच हुआ। देश का यह पहला ऐसा प्लांट होगा जो पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में लग रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 09:42 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 09:42 PM (IST)
वाराणसी नगर निगम और एनटीपीसी में हुआ अनुबंध, लगेगा कचरा से कोयला बनाने का प्लांट
कूड़े से कोयला बनाने का करार शुक्रवार को नगर निगम और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड बीच हुआ।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। कचरा प्रबंधन की दिशा में बड़ी पहल हुई है। कूड़े से कोयला बनाने का करार शुक्रवार को नगर निगम और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड बीच हुआ। देश का यह पहला ऐसा प्लांट होगा, जो पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में लग रहा है। दोपहर में नगर निगम मुख्यालय पर एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड नोएडा के सीनियर मैनेजर हिमांशु फुलेरिया, नगर निगम के अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार मौर्या, एक्सईएन विद्युत एवं यांत्रिक अजय कुमार राम, लेखाधिकारी मनोज त्रिपाठी व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा.एनपी सिंह की मौजूदगी में यह करार हुआ। एनटीपीसी इस प्लांट के निर्माण व संचालन पर आने वाले सभी तरह के खर्च का वहन सीएसआर फंड से करेगा। उधर, एनटीपीसी ने इस प्लांट के निर्माण के लिए नोएडा के सेक्टर 10 में स्थापित मेकावबर बीके प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी है।

विकास का यह नया माडल पूरे देश के लिए नजीर

कूड़ा को संसाधन के रूप में परिवर्तित करने वाला यह प्लांट बनारस के लिए मील का पत्थर साबित होगा। नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने कहा कि कचरे से कोयला बनाने का कार्य विश्व में अब तक कहीं नहीं हुआ है। यह पहला अवसर होगा जब कचरे से बिजली बनाने का कार्य होगा। इसके लिए दादरी में एनटीपीसी ने प्रयोग कर लिया है, जिसे अब धरातल पर उतारने की तैयारी हो रही है। प्लांट निर्माण के लिए नगर निगम ने रमना में 25 एकड़ जमीन चिह्नित कर दी है। 20 एकड़ में प्लांट निर्माण होगा तो पांच एकड़ में कोयला निर्माण के दौरान निकले अवशेष को निस्तारित करने के लिए वैज्ञानिक विधि से व्यवस्था की जाएगी। एक्सीएन अजय राम बताते हैं कि बनारस में प्लांट की उपयोगिता सिद्ध हुई तो इंदौर में भी प्लांट निर्माण होगा। कुछ दिन पूर्व भोपाल में भी इसी तरह के संयंत्र लगाने का करार हुआ है।

600 टन कचरे से 200 टन कोयला

दादरी में हुए अध्ययन सामने आया है कि 600 टन कचरे से 200 टन कोयला बनेगा। प्लांट निर्माण कार्य आगामी 25 साल को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन शहर से छह सौ मीट्रिक टन कचरा निकलता है। शहर विस्तार के बाद करीब आठ सौ मीट्रिक टन कचरा निकासी का अनुमान लगाया जा रहा है। इसलिए प्लांट की क्षमता आठ सौ मीट्रिक टन से अधिक कचरा प्रसंस्करण करने की क्षमता होगी।

एक किलो कोयला में छह रुपये खर्च

अब तक के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि एक किलो कोयला बनाने में छह रुपये खर्च आएगा। वहीं, कचरे से बिजली बनाने के लिए देश में जहां भी प्लांट लगा है वहां पर प्रति यूनिट 11 से 12 रुपये खर्च आता है जबकि बाजार में प्रति यूनिट बिजली की बिक्री अधिकतम आठ रुपये होती है। ऐसे में कचरे से बिजली बनाने का प्लांट घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इसे देखते हुए दादरी में एनटीपीसी ने कचरे से कोयला बनाने का प्रयोग किया। इसके बाद बनारस में इसे स्थापित करने का निर्णय लेते हुए नगर निगम से करार किया गया।

180 करोड़ होंगे प्लांट निर्माण पर खर्च

इस प्लांट के निर्माण में 180 करोड़ रुपये खर्च होंगे। निर्माण करने वाली कंपनी दो साल तक इस धनराशि में प्लांट का संचालन करेगी। इसके बाद वाराणसी नगर निगम को प्लांट सुपुर्द कर दिया जाएगा। करीब एक साल में प्लांट निर्माण कर लिया जाएगा।

ईको फ्रेंडली होगा प्लांट

मिली जानकारी के अनुसार योजना को अलग-अलग उप विधाओं के संयोजन, परीक्षण, रखरखाव और प्रतिस्थापन के लिए माड्यूलर फैशन में डिजाइन किया जाएगा। यह प्लांट गंधहीन होगा। लागू उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप होगा। शोर सीमा के मानक के अनुरूप प्लांट स्थापित किया जाएगा। संयंत्र एक सुंदर वातावरण से घिरा होगा। साथ ही यह हानिकारक पदार्थों के निर्वहन को रोकने के लिए कचरा लीचेट उपचार प्रणाली (जमीन में गड्ढा खोदकर निस्तारण करने की विधि) से गुजरेगा। इसके अलावा मानव जोखिम सीमित रहेगा। क्योंकि इसके संचालन और रखरखाव में स्थापित मशीनें स्वचालित होंगी। एनटीपीसी ने दादरी में प्रथम चरण में एक डेमो व पायलट टोरेफाइड प्लांट स्थापित किया है। टोरेफाइड कोयले का उपयोग तापीय विद्युत संयंत्रों में किया जा सकता है।

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