डेंगू के लक्षण दिखते ही तुरन्त डाक्टर से करें सम्पर्क, जानें बचाव और उपचार के तौर तरीके

डेंगू और मलेरिया के लक्षण दिखते ही तुरन्त अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में डाक्टर से परामर्श लें। अपने घर के आस-पास साफ-सफाई रखें। पानी इकट्ठा न होने दें तथा सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राहुल सिंह का।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 05:04 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 05:04 PM (IST)
डेंगू के लक्षण दिखते ही तुरन्त डाक्टर से करें सम्पर्क, जानें बचाव और उपचार के तौर तरीके
डेंगू और मलेरिया के लक्षण दिखते ही तुरन्त अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में डाक्टर से परामर्श लें।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जिले में डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग जुलाई से ही लगातार अभियान चला रहा है। डेंगू और मलेरिया से सतर्क रहने की आवश्यकता है। लक्षण नजर आते ही अगर अस्पताल की सेवाएं ली जाएं तो बीमारी गंभीर नहीं होने पायेगी। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के मरीज तथा गर्भवती डेंगू और मलेरिया के लक्षण दिखते ही तुरन्त अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में डाक्टर से परामर्श लें। अपने घर के आस-पास साफ-सफाई रखें। पानी इकट्ठा न होने दें, तथा सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राहुल सिंह का।

डॉ सिंह ने बताया कि डेंगू का लक्षण दिखने पर त्वरित इलाज होना चाहिए ताकि दूसरे लोग संक्रमित न होने पाएं। डेंगू के हर मरीज को प्लेटलेट्स की आवश्यकता नहीं होती है। किसे प्लेटलेट चढ़ना है और किसे नहीं चढ़ना है, यह अलग-अलग केस पर निर्भर करता है। अगर मरीज सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर आता है, तो डेंगू की पुष्टता की जांच के लिए उसे आईएमएस बीएचयू तथा पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय, पाण्डेयपुर रेफर किया जाता है।

कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसएस कनौजिया ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 2072 आशाओं के द्वारा ब्रीडिंग चेकर का कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतीराज विभाग के सहयोग से 694 ग्राम पंचायतों में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति द्वारा एंटी लार्वल छिड़काव का कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 60 ब्रीडिंग चेकर टीम शहरी क्षेत्रों के लिए लगायी गयी हैं। जिनके द्वारा घर-घर जाकर लार्वा ब्रीडिंग की चेकिंग की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में 41 टीमें एन्टीलार्वल के छिड़काव का कार्य कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग और पंचायतीराज विभाग के सहयोग से गांवों में एन्टीलार्वा का छिड़काव भी कराया गया है।

ग्रामीण क्षेत्र के नौ ब्लाकों क्रमशः अराजीलाइन, बड़ागांव, चिरईगांव, चोलापुर, हरहुवा, काशी विद्यापीठ, पिंडरा तथा सेवापुरी में कुल 61 हॉट स्पॉट क्षेत्र चिन्हित किए गए थे। जनपद में सर्विलान्स के लिए 40 आरआरटी (रैपिड रेस्पांस टीम) गठित की गयी थी, जिसमें 16 टीमें ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 24 टीमें शहरी क्षेत्रों में थीं। 868 निगरानी समितियां गठित की गयी थीं, जिसमें 694 टीमें ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 174 टीमें शहरी क्षेत्रों में थीं। इस दौरान 1,47,689 मेडिकल किट का वितरण भी किया गया।

जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद पांडे ने बताया कि इस दौरान स्वस्थ्य विभाग के द्वारा लगातार निम्न गतिविधियां की जा रही हैं। जिले स्तर पर एवं सभी ब्लॉक स्तर पर आरआरटी टीमें गठित की गई हैं। जनपद में अभी तक एन्टीलार्वल छिड़काव 3756 क्षेत्रों में, सोर्स रिड़क्सन 41350 कंटेनर, पाइराथ्रम इंडोर स्प्रे 9131 घरों में, जुलाई से अब तक 95403 घरों में जांच, कुल 307 घरों में लार्वा पाया गया। नगर निगम द्वारा 90 वार्ड तथा नये शहरी क्षेत्र में फागिंग का कार्य किया गया। जनपद में 16 टीमें नर्सिंग होम और प्राइवेट पैथालाजी की जांच के लिए लगायी गयी थीं। कि ये लोग मनमाना वसूली न करें उनको नोटिस भी दिया गया। उन्होंने बताया की जिले में जुलाई से लेकर अब तक 214 डेंगू के पुष्ट मरीज पाए गए हैं। डेंगू, टाइफाइड, वाइरल बुखार को मिलाकर कुल 52 मरीज भर्ती हैं, जिसमें 5 मरीज एलाइजा पॉज़िटिव के भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

आंकड़ों पर नजर : जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 में डेंगू के 605 मरीज तथा मलेरिया के 406 मरीज, वर्ष 2018 में डेंगू के 327 मरीज तथा मलेरिया के 340 मरीज, वर्ष 2019 में डेंगू के 550 मरीज तथा मलेरिया के 271 मरीज, वर्ष 2020 में डेंगू के 13 मरीज तथा मलेरिया के 46 मरीज, इस वर्ष 2021 में अब तक डेंगू के 214 मरीज तथा मलेरिया के 130 मरीज पाए गए। जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी हरिवंश यादव ने बताया कि जनपद में वैयक्तिक संचार के माध्यम से घर-घर भ्रमण कर लोगों को डेंगू मलेरिया के सम्बन्ध में जानकारी देने हेतु स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है, जिनके माध्यम से समस्त विकासखंड स्तरीय आशा एवं एएनएम कार्यकर्ता को स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षित किया गया है, जिससे वह अपने कार्य क्षेत्र में डेंगू मलेरिया के लक्षण एवं बचाव के बारे में जानकारी दे सकें।

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