दस दिसंबर के बाद शुरू होगा एकीकृत मंडलीय कार्यालय का निर्माण, वाराणसी विकास प्राधिकरण ने आमंत्रित की निविदा

कमिश्नरी परिसर में भगवान शिव के डमरु के आकार नया एकीकृत मंडलीय कार्यालय बनाया जाएगा। प्रस्ताव बनकर तैयार है। 10 दिसंबर के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ होने की संभावना है। निर्माण की कवायद तेज करते हुए वीडीए ने ग्लोबल निविदा जारी कर दिया है। 10 दिसंबर को निविदा खोली जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 11 Nov 2021 06:40 AM (IST) Updated:Thu, 11 Nov 2021 06:40 AM (IST)
दस दिसंबर के बाद शुरू होगा एकीकृत मंडलीय कार्यालय का निर्माण, वाराणसी विकास प्राधिकरण ने आमंत्रित की निविदा
दस दिसंबर के बाद शुरू होगा एकीकृत मंडलीय कार्यालय का निर्माण

जागरण संवाददाता, वाराणसी। कमिश्नरी परिसर में भगवान शिव के डमरु के आकार नया एकीकृत मंडलीय कार्यालय बनाया जाएगा। इसका प्रस्ताव बनकर तैयार है। 10 दिसंबर के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ होने की संभावना है। निर्माण की कवायद तेज करते हुए वाराणसी विकास प्राधिकरण ने ग्लोबल निविदा जारी कर दिया है। 10 दिसंबर को निविदा खोली जाएगी जिसमें कार्यदायी कंपनी का चयन होगा। इसके बाद निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा जो नए वर्ष से पहले हर हाल में ही कर लेना होगा क्योंकि जनवरी के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी हो सकती है।

बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर के साथ 16 मंजिला यह भवन शिव के डमरु आकार में बनेगा। इस भवन का निर्माण पूरी तरह से इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के मानक पर किया जाएगा। ऊर्जा संरक्षण के साथ ही यह भवन पूरी तरह से मानव-पर्यावरण के अनुकूल होगा। 175 करोड़ से अधिक लागत वाले इस भवन की प्लेटिनम रेटिंग की जाएगी। इसके लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फार प्रपोजल) मांगी गई है। करीब 50 हजार वर्गमीटर के निर्मित क्षेत्र वाले इस भवन में विभिन्न इलाकों में काम कर रहे 45 सरकारी विभाग शिफ्ट होंगे। दो टावर आमने-सामने बनेंगे।

अंडरग्राउंड पार्किंग से जुड़ेगा भवन

सर्किट हाउस में बने नए अंडरग्राउंड पाकिंग से प्रस्तावित नए एकीकृत मंडलीय भवन को जोड़ा जाएगा। इसके लिए कमिश्नरी परिसर में बने पार्क के नीचे से अंडरग्राउंड रास्ता बनाया जाएगा ताकि हरियाली भी बची रहे और पार्किंग से भवन का कनेक्शन भी हो जाए।

तोड़ी गई खिड़किया घाट की रेलिंग, बन रही सीढिय़ां

स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से गंगा के खिडकिया घाट पुनरुद्धार कार्य में बड़ी कमी उजागर हुई है जिस ओर किसी और का नहीं, बल्कि खुद कमिश्नर दीपक अग्रवाल का ध्यान गया है। आधुनिक तरीके से बन रहे खिड़किया घाट का संपर्क टूटा हुआ था। घाट पर पहुुंचने वालों के लिए गंगा का स्पर्श दूर की कौड़ी मालूम पड़ रहा था। वजह, रैंप, पक्का घाट व रेलिंग तो बना दी गई थी लेकिन गंगा जल तक की सीढिय़ां लापता थीं। यह देख कमिश्नर हैरान हो गए। स्मार्ट सिटी कंपनी के अफसरों को बुलाकर कहा। भाई, काशी की भावना को समझें और उसके अनुरूप कार्य करें। यहां गंगा जल स्पर्श करना आध्यात्मिक भाव से जुड़ा है और घाट की बनावट ऐसी है कि गंगा प्रेमियों के भाव की पूर्णता नहीं हो सकेगी। कमिश्नर के आदेश पर स्मार्ट सिटी कंपनी ने भूल-चूक में सुधार की और नवनिर्मित आधुनिक घाट का गंगा से संपर्क जोडऩे की कवायद शुरू कर दी।

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