वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर मृतकों और उनके परिवारीजनों के साथ संवेदना, लेकिन चिता के धुएं से आसपास के निवासी बेहाल

हरिश्चंद्र घाट के दक्षिण कर्नाटक घाट और उत्तर करपात्री घाट तक चिताएं लग जा रही हैं। लकड़ी पर जलाई जा रही चिताओं का धुआं इससे लोग को परेशान तो करता ही है लेकिन सीएनजी शवदाह गृह की चिमनी का धुआं तो उनके घरों व छतों तक को प्रभावित करता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 11:29 AM (IST)
वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर मृतकों और उनके परिवारीजनों के साथ संवेदना, लेकिन चिता के धुएं से आसपास के निवासी बेहाल
घाट और आसपास की गलियों को विसंक्रमित किया गया।

वाराणसी [राजेश त्रिपाठी] । कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच जान गंवाने वालों और उनके परिवारीजनों के प्रति सभी लोगों की संवेदनाएं हैं। काशी के श्मशान हरिश्चंद्र घाट के निवासियों के मन भी यही भाव है। घाटों पर शवों की कतार से दुख आंखों से छलक जाता है। शोकाकुल लोगों का दुख उन्हें देखा नहीं जाता, लेकिन उनकी चिंता अपने स्वास्थ्य को भी लेकर है। दरअसल, घाट पर प्रतिदिन लकड़ी पर सौ से सवा सौ शवों का दाह किया जा रहा है। स्थिति यह है कि हरिश्चंद्र घाट के दक्षिण कर्नाटक घाट और उत्तर करपात्री घाट तक चिताएं लग जा रही हैं। इन दोनों घाटों पर गंगा स्नान करने वाले नेमी इस बात से परेशान हैं कि कफन और शवदाह के लिए आए हुए लोगों द्वारा फेके गए ग्लव्स इन घाटों पर पसरे रहते हैं। सफाई व्यवस्था खस्ता हाल है। स्थानीय लोगों का आक्रोश सफाई व्यवस्था के साथ ही प्राकृतिक गैस शवदाह गृह को लेकर भी है। कहते हैं कि लकड़ी पर जलाई जा रही चिताओं का धुआं उन्हें परेशान तो करता ही है लेकिन सीएनजी शवदाह गृह की चिमनी का धुआं तो उनके घरों व छतों तक को प्रभावित करता है। स्थानीय लोगों ने अपने इस कष्ट को कुछ इस प्रकार साझा किया।

घर की छत राख से भर जाती है

घर में चिमनी का धुआं चला आता है। लगता है शव को कफ़न समेत जला देते हैं। घर की छत राख से भर जाती है। यह तब होता है जब शवदाह गृह में लगा एक्जास्ट फैन चला दिया जाता है। रात में दुकान के नीचे बैठने पर भी पूरे शरीर में राख सन जाती है। बिना स्नान किए नहीं रहा जा सकता।

- दिवाकर शर्मा, निवासी, हरिश्चंद्र घाट

शवों के जलने की बदबू आ रही है

मेरी संवेदनाएं कोरोना से मृत लोगों व उनके परिवारीजनों से है। इस समय स्थिति इतनी खराब है कि छत पर जाने पर शवों के जलने की बदबू आ रही है। नगर निगम को प्रतिदिन क्षेत्र की गलियों को विसंक्रमित करना चाहिए। इधर दवाओं का छिड़काव हुआ था लेकिन प्रतिदिन ऐसा हो।

- शर्मिला सान्याल, निवासी हरिश्चंद्र घाट।

शवदाह गृह की चिमनी का धुआं हमेशा उड़ता रहता है

हम लोग सुबह अपनी छतों पर टहलने के लिए आते हैं । इस समय स्थिति इतनी भयावह है कि शव दाह नहीं रुक रहे। इससे शवदाह गृह की चिमनी का धुआं हमेशा उड़ता रहता है। जीना मुहाल हो गया है।

- सोनी यादव, निवासी हरिश्चंद्र घाट।

हरिश्चंद्र घाट पर इस समय स्थिति खराब है

हरिश्चंद्र घाट पर इस समय स्थिति खराब है। कोरोना संक्रमितों समेत सौ शवों का लकड़ी पर किया जा रहा है। लगभग 20 शव प्राकृतिक शव दाह गृह में जलाए जाते हैं। इस कारण क्षेत्र ज्यादा संक्रमित हो जा रहा है। नगर आयुक्त से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। दो दिन पूरे क्षेत्र को विसंक्रमित व दवा का छिड़काव किया गया। आगामी दिनों में भी प्रयास होगा कि क्षेत्र की जनता को कोई दिक्कत न हो।

- राजेश यादव, चल्लू, क्षेत्रीय पार्षद ।

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