मूर्तिकारों के समक्ष वर्ष भर के गृहस्थी की चिंता, वाराणसी के मूर्ति कारखानों में पसरा है सन्नाटा

मूर्ति कलाकार इस वर्ष मां से अपनी रसोई की आंच न बुझने की विनती कर रहे हैं। लेकिन इस बार उनकी अर्जी मंजूर होते नहीं दिख रही है। कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष नवरात्रि में पूजा पंडाल सजाने पर शासन ने रोक लगा दी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 09:02 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 03:31 AM (IST)
मूर्तिकारों के समक्ष वर्ष भर के गृहस्थी की चिंता, वाराणसी के मूर्ति कारखानों में पसरा है सन्नाटा
वाराणसी, देवनाथपुरा स्थित अपने कारखाने में उदास बैठे मूर्तिकार पुलक मुखर्जी।

वाराणसी, जेएनएन। मूर्ति कलाकार इस वर्ष मां से अपनी रसोई की आंच न बुझने की विनती कर रहे हैं। लेकिन इस बार उनकी अर्जी मंजूर होते नहीं दिख रही है। कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष नवरात्रि में पूजा पंडाल सजाने पर शासन ने रोक लगा दी है। ऐसे में मूर्तिकारों की उम्मीद धरी की धरी रह गई है। उन्हें उम्मीद थी कि जिस तरह से बाजार और अन्य सभी कार्यों को करने के लिए शासन ने स्वीकृति दी है उसी तरह नवरात्रि में पूजा पंडाल सजाने की भी अनुमति मिलेगी।

शासन के रोक लगाने के बाद से अब मूर्तिकारों के सामने सबसे बड़ा संकट अपनी रसोई को लेकर खड़ा हो गया है। उनके पूरे वर्ष भर की गृहस्थी इसी एक-दो माह की कलाकारी पर टिकी रहती थी। हर वर्ष कारखाने गुलजार रहते थे। दिन-रात मूर्ति बनाने का काम चलता रहता था। लेकिन इस बार कलाकार माथे पर हाथ घरे बैठे हैं। बताया कि तीन पीढि़यों से अनवरत यह काम चलता रहा है। पहली बार ऐसा दिन देखने को मिला है।

कारखाने में पसरा है सन्नाटा

पिछले साल तक तो इस माह में कारखाने की हर चीज बिखरी रहती थी। कहीं रंग की बाल्टी तो कहीं ब्रश, तो कहीं रंग-बिरंगे सजावटी सामान। लेकिन कोरोना के कारण इस बार तो कारखाने में सभी चीजें व्यवस्थित रखी हुई हैं। दो माह की मेहनत से नौ दिन तक पूरा शहर और कलाकारों की गृहस्थी गुलजार रहती थी लेकिन इस बार तो कारखाने में सन्नाटा पसरा है। कलाकार देवी मां से बेड़ा पार करने की अर्ज कर रहे हैं।

खिलौना बेचने और झूला झूलाने वाले भी हैं चिंतित

नवरात्रि के नौ दिनों में इस बार लगभग सभी तरह के व्यापार को नुकसान पहुंचेगा। मेले में शामिल खिलौने, गुब्बारा, खाद्य सामग्री के ठेले, पंडालों में लाइटिंग का काम करने वाले, रेस्टोरेंट, झूला झूलाने वाले आदि सभी तरह के कारोबार को नुकसान होगा। इसको लेकर सभी चिंतित हैं।

हमें तो इस कलाकारी के अलावा और दूसरा कुछ नहीं आता, बोले मूर्तिकार

हमें तो इस कलाकारी के अलावा और दूसरा कुछ नहीं आता है। हर साल करीब 30-40 मूर्तियों के आर्डर मिल जाते थे। जिससे वर्ष भर का खर्चा निकल जाता था। इस बार क्या होगा, कैसे होगा कुछ समझ नहीं आ रहा है।- ' - - पुलक मुखर्जी, मूर्तिकार, देवनाथपुरा, बंगालीटोला।

शहर में करीब तीन सौ से ज्यादा पूजा पंडाल सजाए जाते थे। जिससे लगभग दो माह तक हम हजारों मजदूरों को रोजगार देते थे। इस बार तो स्वयं रोजगार खोज रहे हैं।

- बंशी पाल, मूर्तिकार, पांडेय हवेली।

सरकार ने सभी कामों के लिए अनुमति दे दिया है। लेकिन पूजा पंडालों के लिए नहीं अनुमति नहीं मिली। इस नौ दिन के पूजा से कितने लोगों का रोजगार छूटा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

- गोपाल डे, मूर्तिकार, देवनाथपुरा।

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