प्रतिस्पर्धा ने बढ़ाया इंटरनेट मीडिया का वर्चस्व, फिर भी जनमानस को भरोसा नहीं

जनमानस इंटरनेट मीडिया पर भरोसा कम करता है। इसके पीछे इंटरनेट मीडिया पर भ्रमित करने सूचना प्रमुख कारण है। भ्रमित समाचार समाज के वैचारीकी में अन्तर्विरोध पैदा कर रहे हैं। इससे हमें बचने के लिए चेतन प्रयास करना होगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 04:14 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 04:14 PM (IST)
प्रतिस्पर्धा ने बढ़ाया इंटरनेट मीडिया का वर्चस्व, फिर भी जनमानस को भरोसा नहीं
देश का जनमानस इंटरनेट मीडिया पर भरोसा कम करता है।

वारासी, जागरण संवाददाता। विज्ञान व तकनीकी वर्तमान दौर में देशों की भौगोलिक सीमा को वृहद कर दिया है। सेटेलाइट कम्युनिकेशन युग के प्रभाव से इंटरनेट मीडिया का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। इसका प्रभाव मीडिया पर भी पड़ रहा है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा काे देखते हुए अब प्रतिष्ठित मीडिया घराने भी पोर्टल पर आ गए हैं ताकि कोई भी सूचना त्वरित गति से पाठकों तक पहुंचाया जा सके।

आर्य महिला पीजी कालेज में मंगलवार को आयोजित "मीडिया और समाज, अंतर्विरोध और चुनौतियां" विषयक आनलाइन संगोष्ठी का यह निष्कर्ष रहा। समाजशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित उड़ान' श्रृंखला के समापन सत्र के व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता सामाजिक अध्ययन केन्द्र, दक्षिण-बिहार विश्वविद्यालय (गया) कि असिस्टेंट प्रोफेसर डा. परिजात प्रधान ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन काल में राष्ट्रीय चेतना के संचार में तात्कालिक सम्प्रेषीय साधनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रेस के माध्यम से ही उस दौरान जनमानस में चेतना का संचार करने का कार्य किया जाता था। बदलते वैश्विक परिदृश्य में अब सूचना त्वरित सम्प्रेषणीय हो गई है। इंटरनेट के युग में अब देश-दुनिया की घटनाएं कुछ ही मिनटों में लोगों के पास पहुंच जा रही है।

हालांकि, जनमानस इंटरनेट मीडिया पर भरोसा कम करता है। इसके पीछे इंटरनेट मीडिया पर भ्रमित करने सूचना प्रमुख कारण है। भ्रमित समाचार समाज के वैचारीकी में अन्तर्विरोध पैदा कर रहे हैं। इससे हमें बचने के लिए चेतन प्रयास करना होगा। समेकित और मूल्यपरक विचार प्रयास के द्वारा समाज में डर फैलाने वाले सूचना स्रोतों से बचा जा सकता है। स्वागत प्राचार्या डॉ,रचना दुबे,विषयोस्थापन डा. शीतल शर्मा, संचालन डा. स्वाती एस० मिश्रा व धन्यवाद ज्ञापन डा. अरविन्द कुमार दुबे ने किया। डा. कंचन, डा. बिथिका, डा. मिथिलेश मिश्रा सहित अन्य लोगों ने भी विचार व्यक्त किया। जूम एप से व्याख्यान में करीब दो सौ से अधिक प्रतिभागी जुड़े रहे।

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