कुलपतियों के चार दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप पर चर्चा Varanasi news

बीएचयू स्थित लक्ष्मण दास अतिथि गृह के सभागार में कुलपतियों के चार दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप पर चर्चा हुई।

By Edited By: Publish:Sat, 20 Jul 2019 02:12 AM (IST) Updated:Sat, 20 Jul 2019 09:08 AM (IST)
कुलपतियों के चार दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप पर चर्चा Varanasi news
कुलपतियों के चार दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप पर चर्चा Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू स्थित लक्ष्मण दास अतिथि गृह के सभागार में कुलपतियों के चार दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारुप पर चर्चा हुई। गुणवत्ता एवं व्यापकता के नजरिए से वक्ताओं ने इसे न सिर्फ कोठारी आयोग से बेहतर बताया, बल्कि राष्ट्र की जरूरतों के अनुरूप करार दिया। शेपा के निदेशक प्रो. केपी पांडेय ने कहा कि युवा उच्च शिक्षा हासिल तो करना चाहते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश का उद्देश्य ज्ञान अर्जन नहीं होता। इस प्रथा पर रोक लगनी चाहिए। विश्वविद्यालय मौलिक शोध को बढ़ावा दें और क्रियात्मक शोध को अपनाएं, जो हमारे दैनिक जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हैं।

बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो. वाईसी सिम्हाद्री ने कहा कि भारत की प्रमुख समस्या भाषा है। ऐसे में जरूरी है कि देश में आवश्यक रूप से संपर्क की एक भाषा होनी चाहिए। आइएआइएफएम के सीईओ गौतम सेन गुप्ता ने कहा हमारी शिक्षा व्यवस्था प्रतिवर्ष स्नातक व परास्नातकों की फौज तैयार कर रही है। उद्योग जगत की प्रकृति में बदलाव आया है। उन्हें ऐसे व्यक्तियों की जरूरत है, जो निरंतर बदलते हुए संसार की मांग के साथ अपने कौशल को बढ़ा सकें। दक्षिण भारतीय ¨हदी प्रचार सभा के कुलपति प्रो. राममोहन पाठक ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य शिक्षार्थी को अपने संस्थान, अपने गुरु, ज्ञान, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व से जोड़ना है। इसके लिए शिक्षक वर्ग को आगे आना होगा और यह कार्य हमारी मातृभाषा के माध्यम से ही संभव है, क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं। वहीं प्रो. गिरीश्वर मिश्रा ने कहा कि हमें छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक का सफर तय करना है।

इसलिए हमारे विद्यार्थियों को इस तरह तैयार करना होगा कि वे विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक अर्थव्यवस्था के विकास में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकें। इस दौरान सौराष्ट्र विवि के पूर्व कुलपति प्रो. कमलेश पी जोशीपुरा, त्रिपुरा विवि के कुलपति प्रो. वीएल धारुरकर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्रा, नागपुर विवि के पूर्व कुलपति प्रो. जीएस परासर, पूर्णिया विवि के कुलपति प्रो. राजेश सिंह, राजीव गांधी विवि के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा, नागालैंड विवि के कुलपति प्रो. परदेसी लाल, आसाम विवि के कुलपति प्रो. दिलीप चंद्रनाथ आदि ने विचार व्यक्त किए। स्वागत प्रो. आरपी शुक्ला, संचालन प्रो. सीमा सिंह व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आशाराम त्रिपाठी ने किया।

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