Coal Crisis : अनपरा तापीय परियोजना में महज कुछ घंटों के लिए ही शेष है कोयला
तापीय परियोजना में प्रतिदिन 40 हजार टन खपत के सापेक्ष एनसीएल द्वारा महज लगभग 30 हजार टन के बीच कोयले की आपूर्ति की जा रही है जिससे अनपरा तापीय परियोजना के कोल स्टाक में प्रतिदिन 10 हजार टन कोयले की कमी बनती जा रही है।
सोनभद्र, जागरण संवाददाता। उत्पादन निगम की प्रमुख 2630 मेगावाट क्षमता वाली अनपरा तापीय परियोजना कोयले की कमी को लेकर प्रतिदिन सुपर क्रिटिकल जोन में पहुंचती जा रही है। बुधवार को परियोजना के स्टाक में महज 61 हजार 664 टन कोयला बचा हुआ है। जो महज डेढ़ दिन के लिए है। तापीय परियोजना में प्रतिदिन 40 हजार टन खपत के सापेक्ष एनसीएल द्वारा महज लगभग 30 हजार टन के बीच कोयले की आपूर्ति की जा रही है, जिससे अनपरा तापीय परियोजना के कोल स्टाक में प्रतिदिन 10 हजार टन कोयले की कमी बनती जा रही है।
उत्पादन निगम द्वारा एनसीएल का 1320 करोड़ रुपये भुगतान करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस पहल नही किए जाने से तापीय परियोजनाए कोयले की संकट से उबर नही पा रही है। कोयले की कमी को लेकर गत कई दिनों से 250मेगावाट कम लोड पर अनपरा के ए व बी इकाई को संचालित किया जा रहा है, जिससे निगम को प्रतिदिन डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का घाटा उठाना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पीक आवर शाम 7 से 11 बजे तक विद्युत कटौती नहीं किए जाने के अनुपालन में उस समय अनपरा के सभी इकाइयों को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। जबकि अन्य समय में 250 मेगावाट कम लोड पर चलाया जा रहा है। कोयले की कमी को लेकर विद्युत गृहों में उपजे संकट पर कोल व ऊर्जामंत्री समेत शीर्ष प्रबंधन कई दौर में वार्ता कर चुका है। फिर भी कोई स्पष्ट निर्णय नही होने से समस्या का समाधान होता नही दिख रहा है।
परियोजना प्रबंधन अपने शीर्ष अधिकारियों को प्रतिदिन समस्याआें को अवगत कराते हुए कोयला आपूर्ति के लिए हर संभव प्रयास जारी किए हुए है। मांग के अनुरूप कोयला नही मिलने पर उपलब्धता के सापेक्ष ही विद्युत इकाइयों को संचालित कर रहे हैं। कोयला संचालन खंड के अधिशासी अभियंता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि बुधवार को कोयले का स्टाक 61 हजार 664 टन रहा। अनपरा ए में 11 हजार 120, बी में 18 हजार 835, डी में 31 हजार 708 टन कोयला मौजूद है। इससे 2630मेवा वाली इस परियोजना को महज डेढ़ दिन तक चलाया जा सकता है। एनसीएल द्वारा 30 हजार टन आपूर्ति किये जाने के बावजूद प्रतिदिन स्टाक से 10 हजार टन कोयले की कमी बनती जा रही है।