सीएम के आश्वासन ने जगाई नए कलेक्ट्रेट भवन की उम्मीद, अंग्रेजों के शासन काल में वर्ष 1820 में बना पुराना भवन जर्जर

अंग्रेजों के जमाने में निर्मित भवन में चल रहे कलेक्ट्रेट कार्यालय को नया भवन मिलने की उम्मीद फिर से जग गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 12:41 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 12:41 PM (IST)
सीएम के आश्वासन ने जगाई नए कलेक्ट्रेट भवन की उम्मीद, अंग्रेजों के शासन काल में वर्ष 1820 में बना पुराना भवन जर्जर
सीएम के आश्वासन ने जगाई नए कलेक्ट्रेट भवन की उम्मीद, अंग्रेजों के शासन काल में वर्ष 1820 में बना पुराना भवन जर्जर

वाराणसी, जेएनएन। अंग्रेजों के जमाने में निर्मित भवन में चल रहे कलेक्ट्रेट कार्यालय को नया भवन मिलने की उम्मीद फिर से जग गई है। वर्ष 1820 में बने पुराने कलेक्ट्रेट की जगह नए भवन के निर्माण के लिए जिलाधिकारी ने फिर संशोधित प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश नाजिर समेत संबंधित अधिकारियों को दिया है। जिला प्रशासन को अगले सप्ताह प्रस्ताव बनाकर हर हाल में राजस्व परिषद को भेजना है। इसके लिए जिलाधिकारी ने संयुक्त कार्यालय प्रभारी, निर्माण निगम समेत अन्य अधिकारियों की शुक्रवार को बैठक बुलाई थी।

अंग्रेजों के शासनकाल में बना कलेक्ट्रेट भवन 150 वर्ष पूरा करने के साथ जर्जर हो चुका है। 2005 में राजकीय लोक निर्माण निगम कलेक्ट्रेट भवन को जर्जर के साथ निष्प्रयोज्य घोषित कर चुका है। तत्कालीन डीएम ने नए कलेक्ट्रेट भवन निर्माण को शासन को प्रस्ताव भेजा था। 30 जनवरी 2009 को जल निगम की सीएंडडीएस शाखा ने भी 724.66 लाख का प्रस्ताव शासन को भेजा था। शासन ने तत्काल 50 लाख रुपये स्वीकृत कर जिला प्रशासन को काम शुरू कराने का निर्देश दिया। हालांकि, काम शुरू न होने पर जलनिगम ने धनराशि वापस कर दी। इसके बाद जिला प्रशासन ने फिर 1747.48 लाख रुपये का संशोधित प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा। डीएम कौशल राज शर्मा  ने कहा कि कलेक्ट्रेट भवन पुराना होने के साथ जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। बनारस दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस बारे में अवगत कराया गया था। उन्होंने प्रस्ताव भेजने के साथ लखनऊ बुलाया है। अगले सप्ताह प्रस्ताव बनाकर राजस्व परिषद को भेज दिया जाएगा।

कलेक्ट्रेट में स्थित हैं यह कार्यालय

कलेक्ट्रेट मुख्य भवन, जिला प्रोबेशन, अभिलेखाकार, एडीएम सिटी, कैंटीन एवं कर्मचारी कल्याण निगम, लोक शिकायत कार्यालय भवन। इन भवनों को गिराने और मलबा हटाने में करीब 20 लाख खर्च होंगे। हालांकि पहले जिला प्रशासन ने 15.16 लाख का इस्टीमेट बनाया था।

पीडब्ल्यूडी ने सौंपी थी रिपोर्ट

वर्ष 2005 के बाद फिर लोक निर्माण विभाग (प्रांतीय खंड) के अधिशासी और सहायक अभियंता ने 15 फरवरी-2008 को कलेक्ट्रेट भवन का सर्वे करने के साथ एडीएम प्रोटोकाल को रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में लिखा था कि 150 वर्ष पुराना कलेक्ट्रेट भवन जर्जर व निष्प्रयोज्य है।

इन कलेक्टरों ने भेजी थी रिपोर्ट

नीतीश्वर कुमार, नितिन रमेश गोकर्ण, राजीव अग्रवाल, वीणा, अजय कुमार उपाध्याय, रवींद्र, समीर वर्मा, सौरभ बाबू, प्रांजल यादव, विजय किरण आनंद, योगेश्वर राम मिश्र व सुरेंद्र सिंह।

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