गाजीपुर में एक साथ जली पति-पत्नी की चिता, अनाथ हुआ परिवार, सन्नाटे को तोड़ रहीं थीं पुत्रियों की सिसकियां

एक साथ पति पत्नी का शव जलता देख लोगों की आंखें नम हो गईं। इस घटना से पुत्री व पुत्रों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। बच्चों के करुण क्रंदन से माहौल पूरी तरह गमगीन था। रविवार को भी ग्रामीणों की भीड़ मुंशी के घर पर जुटी थी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 05:38 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 05:38 PM (IST)
गाजीपुर में एक साथ जली पति-पत्नी की चिता, अनाथ हुआ परिवार, सन्नाटे को तोड़ रहीं थीं पुत्रियों की सिसकियां
एक साथ पति पत्नी का शव जलता देख लोगों की आंखें नम हो गईं।

गाजीपुर, जेएनएन। दिलदारनगर  थाना क्षेत्र के उसिया गांव में रविवार को हुई हृदयविदारक घटना ने परिजनों को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया है। जिला अस्पताल से पोस्टमार्टम होने के बाद पति मुंशी यादव व पत्नी रीना देवी के शव का अंतिम संस्कार देर रात जिला मुख्यालय गंगा नदी के किनारे स्वजनों ने किया। एक साथ पति पत्नी का शव जलता देख लोगों की आंखें नम हो गईं। इस घटना से पुत्री व पुत्रों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। बच्चों के करुण क्रंदन से माहौल पूरी तरह गमगीन था। रविवार को भी ग्रामीणों की भीड़ मुंशी के घर पर जुटी थी।

थाना क्षेत्र के उसिया गांव के बाजार मोहल्ला में शनिवार की भोर में फतेहपुर में तैनात हेड कांस्टेबल मुंशी सिंह यादव (42) ने नींद में सो रही पत्नी रीना देवी (38) की गड़ासा से काटकर हत्या कर दी थी। साथ में सो रही पुत्री सुधा, पुत्र कृष्णा व श्याम को भी गड़ासे से मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। तीनों का वाराणसी स्थित ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा है, जबकि अन्य घायल चार बेटियों का उपचार गांव के निजी अस्पताल में हुआ। घटना को अंजाम देने के बाद मुंशी सिंह ने घर से 500 मीटर दूर ककरही डेरा के पास ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। बड़े भाई मुनीब व मुंशी का परिवार एक साथ रहता था, जबकि अन्य दो भाई अलग-अलग रहते थे। रीना का मायका सुहवल में था। घटना की जानकारी पाकर मायका से भी लोग घर पर पहुंच गए थे। थाना निरीक्षक कमलेश पाल भी मुंशी के घर पहुंचकर बच्चों से वार्ता किये।

सन्नाटे को तोड़ रहीं थीं पुत्रियों की सिसकियां

उसिया गांव के बाजार मोहल्ला में सोमवार को भी सन्नाटा पसरा हुआ था और घर का चूल्हा ठंडा पड़ा था। पुत्रियों के करुण क्रंदन से पूरा माहौल गमगीन था। अचानक माता-पिता का साया बच्चों के सिर से उठने से सभी गमजदा थे। घर सहित अगल-बगल की महिलाएं पुत्रियों को ढांढस बंधा रही थी कि यह कौन जानता था कि ऐसा दिन भी देखने को मिलेगा। सोलह वर्षीय बड़ी पुत्री नेहा को महिलाएं यह कहकर चुप करा रहीं थीं कि अब तुम्हारे ऊपर चार बहन व दो भाइयों की परवरिश की जिम्मेदारी है। जब तुम ही टूट जाओगी तो इनका क्या हाल होगा, लेकिन नेहा बेसुध हो जाती थी। वहीं ऋतु (13), नीतू (10) व वर्षा (8) भी विलाप कर रही थी। इनके करुण क्रंदन से लोगों का कलेजा फट जा रहा था।

ग्राम प्रधान ने बढ़ाए मदद हो हाथ

गंभीर रूप से घायल पुत्री सुधा (6), पुत्र कृष्णा (2) व श्याम (7) का इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है, जो अब खतरे से बाहर हैं। उनके उपचार के लिए प्रधान पिंटू खां ने दस हजार व पति-पत्नी के दाह संस्कार के लिए भी रुपये दिए। कहा कि बच्चों के साथ मैं खड़ा हूं, उनकी पूरी तरह से मदद की जाएगी।

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