वाराणसी में कोरोना संक्रमण में माता-पिता को खोने वाले बच्चों की होगी आर्थिक मदद, सर्वे शुरू

कोरोना या इससे इतर कारणों के चलते माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की न केवल बेहतर देख-रेख होगी बल्कि आर्थिक सहयोग देकर मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा। किशोरों के ख्वाबों को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा भी दिलाई जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 15 Aug 2021 02:49 PM (IST) Updated:Sun, 15 Aug 2021 02:49 PM (IST)
वाराणसी में कोरोना संक्रमण में माता-पिता को खोने वाले बच्चों की होगी आर्थिक मदद, सर्वे शुरू
माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की न केवल बेहतर देख-रेख होगी

जागरण संवाददाता, वाराणसी । कोरोना या इससे इतर कारणों के चलते माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की न केवल बेहतर देख-रेख होगी, बल्कि आर्थिक सहयोग देकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा। वहीं किशोरों के ख्वाबों को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा भी दिलाई जाएगा। प्रदेश सरकार के निर्देश पर ऐसे बच्चों-किशोरों को चिन्हित करने के लिए सर्वे किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी ने योजना का लाभ जल्द से जल्द बच्चों व किशोरों को प्रदान कराए जाने के लिए सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किया है। जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना के अलावा अन्य कारणों से पहली मार्च 2020 के बाद माता-पिता दोनों या किसी एक को अथवा अभिभावक को खोया है, उन्हें प्रतिमाह 2500 रुपये की मदद पहुंचाई जाएगी। वहीं इस श्रेणी के 18 से 23 साल के ऐसे किशोर जिन्होंने कक्षा-12 की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और अब राजकीय डिग्री कालेज, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना चाह रहे हैं, उनका भी आर्थिक सहयोग किया जाएगा। इसके अलावा नीट, जेईई व क्लैट जैसे राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूरी होने तक या स्नातक शिक्षा अथवा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा पूरा करने तक इस योजना के तहत आर्थिक सहयोग दिया जाएगा।

दायरे में आएंगे बालश्रम से मुक्त होने वाले

प्रवीण त्रिपाठी के मुताबिक योजना में वे किशोर भी शामिल किए जाएंगे जिनकी माता तलाकशुदा है अथवा जिनके माता-पिता या परिवार का मुखिया जेल में है। इतना ही नहीं सरकार को उन बच्चों का भी पूरा ख्याल है, जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति से मुक्त कराकर परिवार या पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया हो। भिक्षावृत्ति में शामिल रहे परिवारों के बच्चों को भी योजना के दायरे में लाकर लाभ दिलाया जाएगा।

ऐसे मिलेगा योजना का लाभ

योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए माता-पिता या संरक्षक को खुद से आवेदन करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम विकास अधिकारी या ग्राम पंचायत अधिकारी के पास या विकास खंड या फिर सीधे जिला प्रोबेशन अधिकारी के पास आवेदन किया जा सकता है। शहरी क्षेत्र में लेखपाल, तहसील या सीधे जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में आवेदन पत्र जमा करें। आवेदन पत्रों का सत्यापन ग्रामीण क्षेत्रों में खंड विकास अधिकारी तथा शहरी क्षेत्रों में उप जिलाधिकारी द्वारा किया जायेगा। इसके बाद चिन्हित बच्चों या उनके अभिभावकों से बाल संरक्षण इकाई तथा बाल कल्याण समिति सीधे संपर्क कर आवेदन प्रक्रिया को 15 दिन में पूर्ण कराने का काम करेगी।

इन्हें मिलेगा लाभ

- शून्य से 18 साल तक के वह बच्चे जिनके माता-पिता दोनों या किसी एक की अथवा वैध अभिभावकों की मृत्यु एक मार्च 2020 के बाद हुई है।

- 18 से 23 साल तक के वह किशोर जिनके माता-पिता दोनों या किसी एक अथवा वैध अभिभावकों की मृत्यु हुई हो, वह कक्षा 12 के बाद डिग्री/डिप्लोमा प्राप्त करना चाहते हों।

- उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने वाले, नीट, जेईई व क्लैट जैसी राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूरी होने तक या स्नातक शिक्षा या मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करने तक मिलेगा योजना का लाभ।

- 18 साल के वह बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति से मुक्त कराया गया हो या भिक्षावृत्ति में शामिल परिवारों के बच्चे।

- केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा संचालित किसी अन्य समरूपी योजना मसलन-बाल श्रमिक विद्या योजना का लाभ प्राप्त करने वालों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।

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