प्रसव के दौरान बाल रोग विशेषज्ञ की मौजूदगी जरूरी, ताकि न हो कोई बीमारी

नवजात शिशुओं में बहुत सी बीमारियां पैदा होने के बाद ध्यान न देने पर होती हैं। बच्चे के रोने की आवाज नहीं आती है तो यह मान लिया जाता है कि बच्चा बाद में रोएगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 09:17 PM (IST) Updated:Mon, 17 Dec 2018 07:05 AM (IST)
प्रसव के दौरान बाल रोग विशेषज्ञ की मौजूदगी जरूरी, ताकि न हो कोई बीमारी
प्रसव के दौरान बाल रोग विशेषज्ञ की मौजूदगी जरूरी, ताकि न हो कोई बीमारी

वाराणसी, जेएनएन। नवजात शिशुओं में बहुत सी बीमारियां पैदा होने के बाद ध्यान न देने पर होती हैं। बच्चे के रोने की आवाज नहीं आती है तो यह मान लिया जाता है कि बच्चा बाद में रोएगा। बच्चे की आंख खुली है तो मान लेते हैं कि उसे दिखाई दे रहा होगा। इसी तरह उसके सुनने के बारे में धारणा बना ली जाती है। जबकि उसे सुनाई-दिखाई दे रहा है या नहीं इसकी सही जानकारी नहीं हो पाती है। इसलिए प्रसव के दौरान केवल महिला चिकित्सक ही नहीं, बाल रोग विशेषज्ञ को भी उपस्थित रहना चाहिए। जिससे जन्म के साथ नवजात की अच्छी तरह से देखभाल हो सके। कोशिश यह हो कि अस्पताल में स्त्री रोग संग बाल रोग विशेषज्ञ रहते हों। यह कहना था वरिष्ठ बाल रोग चिकित्सकों का, जो रविवार को गेटवे होटल नदेसर में 38वीं नियोकान- 2018 कार्यशाला के अंतिम दिन अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। 

पहले माह से गर्भवती का ख्याल : नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. अशोक राय ने कहा कि गर्भवती महिला को पहले माह से ही चिकित्सकों की राय के अनुसार आहार, टीकाकरण व अल्टासाउंड कराना चाहिए। जिससे बच्चे की स्थिति के बारे में समय -समय पर जानकारी मिलती रहे। पहले जानकारी होने पर उसका उपचार संभव है। 

घर पर प्रसव में बीमारियों का खतरा : नवजात शिशु संघ के प्रदेश सचिव डा. आलोक सी भारद्वाज ने कहा कि अभी-भी काफी लोग घर पर महिला का प्रसव कराते हैं, जिससे विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने की आशंका होती है। डा. एके त्रिपाठी ने कहा कि नवजात शिशु का एक महीने तक विशेष ध्यान रखने के साथ चिकित्सक को समय-समय पर दिखाते रहना चाहिए। डा. राजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि नवजात शिशु पर मौसम का ज्यादा प्रभाव रहता है। 

आधुनिक यंत्रों की प्रदर्शनी भी : कार्यशाला के दौरान जूनियर्स ने वरिष्ठ चिकित्सकों से मन में उठ रहे सवालों को पूछा। शिशुओं से जुड़े आधुनिक यंत्रों की प्रदर्शनी को भी सभी चिकित्सकों ने देखा। कार्यशाला में डा.पूनम सिधाना, डा.अनुराग सिंह, डा.हरीश चेलानी, डा. पीके प्रभाकर, डा. हरीश कुमार, डा. सुनील शर्मा, डा. सुगंधा आर्या, डा. सेंथिल कुमार, डा. डीएन गुप्ता व डा. वीएम त्रिपाठी आदि थे।

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