चरक संहिता में वर्णित है हृदय और फेफड़े को मजबूत करने की औषधि, बीएचयू आयुर्वेद संकाय के विभागाध्यक्ष ने दी सलाह
औषधि आचरण एवं आध्यात्म से हम सात्विक मानस बल उत्पन्न कर जीवन में फिर से स्फूर्ति एवं ऊर्जा से कार्यशील हो सकते हैं। इसका चरक संहिता में भी जिक्र है। ऐसे में लोगों को चिंता करने की बात नहीं हैं क्योंकि आयुर्वेद में अंगों को मजबूत करने की औषधियां हैं।
वाराणसी मुकेश चंद्र श्रीवास्तव । कोरोना मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी व्यक्ति में कमजोरी की शिकायत की समस्या बढ़ रही है। ऐसा होना स्वभाविक हैं क्योंकि संक्रमित व्यक्ति के शरीर व मन पर इस महामारी का व्यापक प्रभाव पड़ता है। कारण कि कोरोना को मारने के लिए हमारे शरीर में उत्पन्न एंटीबॉडी, कोरोना वायरस की समाप्ति के बाद भी उसकी संरचना से मिलती-जुलती शरीर की अन्य प्राकृतिक कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा रही है।
यही वजह है कि अत्यधिक कमजोरी के साथ ही हृदय, फेफड़ा, किडनी, ब्लैक फंगश (त्वचा) सहित अन्य विकार उत्पन्न हो रहे हैं। कई बार तो ठीक होने के बाद भी हृदया घात या अन्य कारणों से मौत के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि राहत की बात है कि इन समस्याओं का निदान पहले से ही चरक संहिता में वर्णित हैं, जिसमें शरीर के अंगों को मजबूत व रोगों से बचाव की औषधि बताई गई है। इस संबंध में पूरी जानकारी दे रहे हैं चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग (आयुर्वेद संकाय) के विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी।
प्रो. आनंद चौधरी बताते हैं कि मानसिक स्वस्थ रक्षण कोरोना के रोगियों का बीमारी की अवधि एवं उसके बाद मानसिक स्वस्थ्य का संतुलन बहुत जरूरी है। औषधि, आचरण एवं आध्यात्म से हम सात्विक मानस बल उत्पन्न कर जीवन में फिर से स्फूर्ति एवं ऊर्जा से कार्यशील हो सकते हैं। इसका चरक संहिता में भी जिक्र है। ऐसे में लोगों को चिंता करने की बात नहीं हैं, क्योंकि आयुर्वेद में अंगों को मजबूत करने की औषधियां मौजूद हैं। हालांकि कोई भी औषधि बिना चिकित्सकीय सलाह के नहीं लेनी चाहिए।
कोरोना से ठीक होने के बाद भी हो रही समस्या एवं उसके लिए औषधियां
शारीरिक कमजोरी : व्यक्ति को कोरोना संक्रमण से नेगेटिव रिपोर्ट के पश्चात ऊर्चादायी पौष्टिक तत्व यथा चव्यनप्राश, ब्रहम रसायन, रत्न्प्राश, अमृतप्राश आदि आयुर्वेदीय योगों का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही सुपाच्य भोजन, सूखे मेवे यथा मुनक्का, बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि के साथ मौसमी ताजी सब्जियां, मौसमी फल का सेवन लाभकारी होगा। इससे शारीरिक कमजोरी से निजात मिलेगी।
फेफड़े को मजबूत करना : फेफड़े को मजबूती के लिए आचार्य चरक द्वारा वर्णित कास हर-खांसी एवं क्षय को दूर करने के लिए श्वास हर महा कषाय वर्ग यानी 10 औषधियों का समूह है। इसमें द्राक्षा (सूखा अंगूर), अभया (हरण), आमलकी (आंवला), पिपली, पुष्कर मूल, अगरू आदि से निर्मित औषधि का सेवन किया जा सकता है। वहीं फेफड़ों पर सुवर्ण बसंत, मालती, अभ्रक भस्म आदि का विशेष लाभ है।
हृदय विकार दूर करने के लिए : आचार्य चरक ने आम्र, आम्रांतक, लकुच (बड़हल), अम्लवेतस, अनार आदि औषधियों को हृदय के लाभ करी बताया है। हृदया वरण रस, नागार्जुनाभ्र भस्म विशेष उपयोगी हो सकते है।
त्वचा रोग से बचाव : कोरोना से उबरने के बाद मुख की त्वचा पर ब्लैक फंगश का प्रभाव दिख रहा है, जिससे की न्यूकोमाइकोसिस बीमारी हो रही है। इसमें भी आचार्य चरक के वर्ण्य महा कषाय यथा चंदन, पद्माक उशीर, मंजिष्ठ, सारिवा आदि औषधियों के योगों का सेवन लाभकारी बताया गया है। बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के विभिन्न विभागों द्वारा इन द्रव्यों पर निरंतर वैज्ञानिक एवं चिकित्सकीय प्रयोग के द्वारा इनके प्रभाव को पुन:स्थापित एवं प्रमाणित भी किया गया है।